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CGMSC Scam: EOW ने दाखिल की 18 हजार पन्नों की चार्जशीट, छह आरोपी भेजे गए जेल, जानें क्या है यह घोटाला?

CGMSC Scam: EOW ने दाखिल की 18 हजार पन्नों की चार्जशीट, छह आरोपी भेजे गए जेल

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Harsh Verma
CGMSC Scam

CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सबसे बड़े घोटालों में से एक छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Chhattisgarh Medical Services Corporation Limited) के 421 करोड़ रुपये के घोटाले में अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने तगड़ी कानूनी कार्रवाई की है। जांच के बाद लगभग 18 हजार पन्नों की विस्तृत चार्जशीट तैयार कर विशेष अदालत में दाखिल कर दी गई है।

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छह आरोपी भेजे गए न्यायिक हिरासत में

चार्जशीट दाखिल करने के बाद EOW ने इस घोटाले में शामिल छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को 10 जून 2025 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

रिमांड पर भेजे गए आरोपियों के नाम-

[caption id="" align="alignnone" width="556"]publive-image शशांक चोपड़ा,संचालक, मोक्षित कॉर्पोरेशन[/caption]

  • शशांक चोपड़ा (Shashank Chopra) – संचालक, मोक्षित कॉर्पोरेशन (Mokshit Corporation)

  • बसंत कुमार कौशिक (Basant Kumar Kaushik) – तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक, CGMSC

  • छिरोद रौतिया (Chhirod Rautiya) – बायो मेडिकल इंजीनियर (Biomedical Engineer)

  • कमलकांत पाटनवार (Kamlakant Patanwar) – उपप्रबंधक (Deputy Manager)

  • डॉ. अनिल परसाई (Dr. Anil Parsai)

  • दीपक कुमार बंधे (Deepak Kumar Bandhe) – मेडिकल इंजीनियर (Medical Engineer)

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दो साल के ऑडिट में घोटाले की परतें खुलीं

यह घोटाला तब सामने आया जब भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग (Comptroller and Auditor General - CAG) के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (Principal Accountant General) आईएएस यशवंत कुमार (IAS Yashwant Kumar) ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ (Manoj Kumar Pingua) को पत्र भेजा।

वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के ऑडिट में पाया गया कि बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की दवाइयां और मेडिकल उपकरण खरीदे गए थे।

आवश्यकता से अधिक खरीदी और बिना सुविधाओं के सप्लाई

ऑडिट में यह भी उजागर हुआ कि प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (Primary Health Centres) में अत्यधिक मात्रा में उपकरण सप्लाई किए गए, जिनमें से 350 केन्द्रों में न तो तकनीकी सुविधा थी और न ही भंडारण की व्यवस्था।

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बिना किसी बेसलाइन सर्वेक्षण (Baseline Survey) और जरूरत के आकलन के यह सप्लाई की गई थी, जिससे सरकारी पैसों का भारी दुरुपयोग हुआ।

आगे भी हो सकती हैं और गिरफ्तारियां

EOW के अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला अभी खुल रहा है और आगे जांच के दौरान और भी बड़े अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। अनुमान है कि कुछ और गिरफ्तारियां भी जल्द हो सकती हैं।

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