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छत्तीसगढ़ के मौसम का हाल
CG Weather Update: अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मौसम का मिजाज बदलने वाला है। मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि 24 अक्टूबर से अगले पांच दिनों तक दक्षिणी छत्तीसगढ़ के कई जिलों- बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर- में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। वहीं 26 अक्टूबर से प्रदेशभर में बारिश की गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम
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मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के ऊपर एक ऊपरी हवा का चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है, जो औसत समुद्र तल से लगभग 5.8 किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है। इसके प्रभाव से 24 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र (Low Pressure Area) बनने की संभावना जताई गई है। यह सिस्टम पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ेगा और अगले 24 घंटों में और अधिक मजबूत हो सकता है। इसके चलते दक्षिण और मध्य छत्तीसगढ़ में बारिश का दौर शुरू हो सकता है।
26 अक्टूबर से बढ़ेगी बारिश की तीव्रता
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मौसम विभाग के मुताबिक 26 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ में वर्षा वितरण में वृद्धि होने की संभावना है। इसका असर रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और अंबिकापुर संभाग तक देखने को मिल सकता है। कुछ स्थानों पर मेघगर्जन के साथ वज्रपात की भी संभावना जताई गई है। विभाग ने किसानों और ग्रामीण इलाकों के लोगों को मौसम के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है।
रायपुर में बादल छाए रहेंगे
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राजधानी रायपुर में आज आसमान मुख्यतः साफ से आंशिक रूप से बादलयुक्त रह सकता है। अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। वहीं, अगले 48 घंटों तक न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, इसके बाद रात के तापमान में 1 से 2 डिग्री की हल्की वृद्धि देखी जा सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में सबसे अधिक अधिकतम तापमान 33.5°C राजनांदगांव में दर्ज किया गया, जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 18°C अंबिकापुर में रहा। फिलहाल किसी भी स्थान से वर्षा की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।
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खेतों में रखी फसलें हो सकती हैं प्रभावित
अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में होने वाली यह बारिश किसानों के लिए चिंता बढ़ा सकती है। जिन क्षेत्रों में धान की कटाई पूरी हो चुकी है, लेकिन फसलें अभी खेतों में रखी हुई हैं, वहां उनके भीगने या खराब होने का खतरा है। वहीं जहां अभी कटाई जारी है, वहां फसल को नुकसान से बचाने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी।
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