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CG Weather Alert
हाइलाइट्स
बस्तर में अगले 5 दिन तक हल्की बारिश
मध्य-उत्तर छत्तीसगढ़ में मानसून विदाई के आसार
नानगुर में 40 मिमी, दुर्ग सबसे गर्म
CG Weather Alert: छत्तीसगढ़ के दक्षिणी क्षेत्र यानी बस्तर संभाग में अगले पांच दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। वहीं, राज्य के मध्य और उत्तरी हिस्सों से मानसून की विदाई जल्द शुरू हो सकती है, क्योंकि इसके लिए मौसम अब अनुकूल बन रहा है।
मौसम विभाग ने सोमवार को भी किसी जिले के लिए कोई विशेष अलर्ट जारी नहीं किया है, यानी पूरे प्रदेश में मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है।
पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ इलाकों में हल्की बारिश दर्ज की गई। सबसे अधिक 40 मिमी वर्षा नानगुर में हुई। तापमान की बात करें तो अधिकतम तापमान 32.6 डिग्री सेल्सियस दुर्ग में और न्यूनतम तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस पेंड्रा रोड में दर्ज किया गया।
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अक्टूबर में अब तक 109% ज्यादा बारिश दर्ज
इस साल अक्टूबर में छत्तीसगढ़ में सामान्य से 109% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। आमतौर पर 8 अक्टूबर तक औसतन 28.3 मिमी बारिश होती है और मानसून विदा हो जाता है, लेकिन इस बार अब तक 59.1 मिमी से अधिक वर्षा हो चुकी है।
10 दिन देरी से मानसून की विदाई
मौसम विभाग के अनुसार, 30 सितंबर तक होने वाली बारिश को मानसूनी बारिश माना जाता है, जबकि उसके बाद की बारिश ‘पोस्ट मानसून’ कहलाती है। फिलहाल देश के कई हिस्सों से मानसून की वापसी शुरू हो चुकी है। सामान्यतः छत्तीसगढ़ में 5 अक्टूबर के आसपास सरगुजा क्षेत्र से मानसून लौटना शुरू होता है, लेकिन इस बार इसकी वापसी में लगभग 10 दिन की देरी हो रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानसून अब करीब 15 अक्टूबर के बाद लौटेगा।
छत्तीसगढ़ में 13 अक्टूबर को कैसा रहेगा मौसम
- आज सभी जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
- एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की संभावना है।
- रायपुर में बादल छाए रहेंगे, रुक-रुक कर बारिश हो सकती है।
बलरामपुर में 52% अधिक बारिश
प्रदेश में 30 सितंबर तक औसतन 1167.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई। बेमेतरा में मात्र 524.5 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 50% कम है। वहीं बस्तर, राजनांदगांव और रायगढ़ जिलों में बारिश सामान्य रही। बलरामपुर जिले में सबसे अधिक 1520.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 52% अधिक है।
कैसे गिरती है बिजली
बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा के साथ रगड़ खाते हैं, जिससे उनमें विद्युत आवेश उत्पन्न होता है। कुछ बादलों में पॉजिटिव और कुछ में नेगेटिव चार्ज जमा हो जाता है। जब ये विपरीत चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं, तो बिजली का निर्माण होता है। आमतौर पर यह बिजली बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन कभी-कभी यह इतनी शक्तिशाली होती है कि धरती तक पहुंच जाती है। पेड़, पानी, बिजली के खंभे और धातु जैसी चीजें बिजली के लिए कंडक्टर का काम करती हैं। यदि कोई व्यक्ति इनके पास मौजूद होता है, तो वह इसकी चपेट में आ सकता है।
आकाशीय बिजला गिरने के प्रमुख संकेत
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- आसमान में घने काले बादल
- तेज मूसलाधार बारिश
- गड़गड़ाहट और बिजली की चमक
- शरीर में अजीब सनसनी या झनझनाहट महसूस होना
- रेडियो या मोबाइल में तेज क्रैकलिंग साउंड
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