CG Teachers News: छत्तीसगढ़ में स्कूलों की व्यवस्था को थोड़ा और बेहतर, संतुलित और बच्चों के लिए फायदेमंद बनाने के लिए सरकार की ओर से जो युक्तियुक्तकरण (यानि स्कूलों और शिक्षकों की नई व्यवस्था) किया जा रहा है, उस पर सवाल (CG Teachers News) उठे तो शिक्षा विभाग ने सामने आकर साफ-साफ जवाब दिया है।
विभाग का कहना है कि ये बदलाव शिक्षा का अधिकार कानून (RTE 2009) के हिसाब से हो रहा है और इसका मकसद है – हर बच्चे को बराबर मौका, अच्छी पढ़ाई और सही तरीके से शिक्षकों की तैनाती।
पुरानी व्यवस्था अब काम की नहीं रही
शिक्षा विभाग ने बताया कि पहले 2008 में स्कूलों में एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक रखे जाते थे, लेकिन अब समय बदल चुका है। 2010 में जब RTE कानून आया, तब से स्कूलों में कितने बच्चों पर कितने शिक्षक लगेंगे, इसके नए नियम बन गए हैं। इसलिए पुरानी व्यवस्था अब काम की नहीं रही।
बच्चों की संख्या के हिसाब से मिलेंगे शिक्षक
नए नियमों के मुताबिक, 60 बच्चों तक दो शिक्षक (CG Teachers News) जरूरी हैं। और अगर स्कूल में 150 से ज्यादा बच्चे हैं, तभी वहां प्रधान पाठक की जरूरत मानी जाती है। जिन स्कूलों में पहले से प्रधान पाठक हैं, उन्हें अब शिक्षक की गिनती में जोड़ा जा रहा है।
कम शिक्षक और ज्यादा कक्षाएं?
लोगों का सवाल है कि जब दो ही शिक्षक होंगे, तो पाँच क्लासेस (1 से 5 तक) कैसे चलेंगी?
इस पर विभाग ने कहा कि इसका हल है – बहुकक्षा शिक्षण प्रणाली, मतलब एक शिक्षक एक साथ दो या ज्यादा क्लास के बच्चों को पढ़ा सकता है। इसके लिए शिक्षकों को खास ट्रेनिंग दी गई है। वैसे भी, अधिकतर स्कूलों में सिर्फ दो कमरे होते हैं, तो यह तरीका व्यवहार में आसान और कारगर है।
शिक्षकों की कमी नहीं, संख्या काफी है
शिक्षा विभाग ने बताया कि राज्य के 30,700 स्कूलों में से करीब 17,000 स्कूलों में ऐसा है कि हर 20 बच्चों पर एक शिक्षक मौजूद है। इससे साफ है कि राज्य में शिक्षक पर्याप्त हैं और पढ़ाई पर इसका बुरा असर नहीं पड़ेगा।
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ये बात गलत फैलाई जा रही है
कुछ संगठनों ने दावा किया था कि 60 से कम बच्चों वाले स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक ही रह जाएगा, लेकिन विभाग ने इसे गलत और भ्रामक बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूलों में भी दो शिक्षक तैनात हैं, जिनमें से एक प्रधान पाठक भी पढ़ाते हैं। इसलिए यह कहना सही नहीं कि स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चलेंगे।
शिक्षा विभाग ने यह भी साफ किया कि यह पूरा बदलाव इसलिए नहीं हो रहा कि शिक्षकों की संख्या घटानी है, बल्कि इसलिए कि जहां जरूरत है, वहां सही शिक्षक तैनात किए जा सकें। इसका मकसद है – हर बच्चे को बराबरी का मौका और बेहतर पढ़ाई। साथ ही ये भी तय किया गया है कि किसी भी स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात कानून के नियमों से नीचे ना जाए।
और क्या कहा विभाग ने?
हम चाहते हैं कि हर बच्चा अच्छी शिक्षा पाए, सभी स्कूलों में संसाधन और शिक्षक बराबर मिलें। इसी मकसद से यह व्यवस्था बदली जा रही है। इसमें किसी भी शिक्षक की नौकरी खतरे में नहीं है।
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