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CG Shikshak Samayojan Controversy
CG Shikshak Samayojan Controversy: छत्तीसगढ़ में अतिशेष शिक्षक को लेकर उठते सवालों और सोशल मीडिया पर बढ़ते विवादों के बीच शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश जारी कर पारदर्शिता (CG Shikshak Samayojan Controversy) और जवाबदेही सुनिश्चित करने को कहा है। इसके साथ ही सहन परीक्षण (validation) को प्राथमिकता देने की बात भी कही गई है।
अतिशेष (युक्तियुक्तकरण) का मतलब है शिक्षकों का ऐसा वितरण जिससे विद्यालयों में शिक्षक संख्या विद्यार्थियों के अनुपात में बराबर हो। कुछ स्कूलों में शिक्षक अधिक हैं, तो कुछ में बहुत कम, इस असंतुलन को दूर करना ही इसका उद्देश्य है।
शिक्षा विभाग के निर्देशों के मुख्य बिंदु:-
निलंबन से बहाल शिक्षकों की जानकारी
पिछले 15 दिनों में बहाल हुए शिक्षकों का विवरण तीन दिन के भीतर देना होगा, साथ में बहाली का कारण भी स्पष्ट करना अनिवार्य है।
संभावित अतिशेष स्कूलों की पहचान
वे स्कूल जहां शिक्षक अधिक नहीं दिख रहे लेकिन छात्र संख्या के आधार पर वे अतिशेष की श्रेणी में आते हैं (जैसे प्राथमिक में 61–65 छात्र), उनकी गहन जांच की जाएगी।
31 मार्च की स्थिति में दर्ज आंकड़ों की पुष्टि
प्रत्येक स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या और कार्यरत शिक्षकों (CG Shikshak Samayojan Controversy) की नामवार जानकारी विकासखण्ड स्तरीय समिति से ली जाएगी।
संलग्न शिक्षकों की स्थिति स्पष्ट करें
जो शिक्षक किसी कारणवश अन्य स्कूलों या कार्यालयों में संलग्न हैं, उन्हें मूल शाला में न जोड़ा जाए। उनकी गणना वहीं हो जहां वे पदस्थ हैं।
आश्रम शालाओं के अधीक्षक
इनकी गणना मूल शाला में ही की जाएगी।
रिक्त पदों का सटीक मिलान जरूरी
सभी रिक्त पदों की जानकारी को विकासखंड स्तर पर मिलाकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
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संवेदनशील स्कूलों की विशेष समीक्षा
जहां शिक्षक नहीं हैं, केवल एक शिक्षक है, या आवश्यकता से कम शिक्षक हैं- ऐसे स्कूलों की अतिरिक्त जांच की जाएगी।
जवाबदेही तय होगी, लापरवाही पर सख्त कार्रवाई
विभाग ने साफ कहा है कि किसी भी त्रुटि या लापरवाही पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए DEO और संभागीय संचालक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
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