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सूरजपुर जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट घोटाला: दूसरी फर्जी फर्म को 81 लाख से ज्यादा का भुगतान, पूर्व CMHO समेत 5 पर FIR

Surajpur Oxygen Plant Scam: सूरजपुर जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट घोटाला, दूसरी फर्जी फर्म को 81 लाख से ज्यादा का भुगतान, पूर्व CMHO समेत 5 पर FIR

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Harsh Verma
Surajpur Oxygen Plant Scam

Surajpur Oxygen Plant Scam: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिला चिकित्सालय में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) लगाने के बाद लाखों रुपये की गड़बड़ी उजागर हुई है।

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रायपुर स्थित यूनिक इंडिया कंपनी (Unique India Company) के संचालक जयंत चौधरी ने शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उनके द्वारा पूरा कार्य पूरा करने के बाद भी भुगतान किसी और फर्म को कर दिया गया।

83 लाख के टेंडर के बदले मिली सिर्फ ठगी

जयंत चौधरी ने बताया कि सूरजपुर के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ने जेम पोर्टल (GeM Portal) के जरिए मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम (MGPS) के लिए टेंडर निकाला था।

13 सितंबर 2021 को उनकी फर्म को 83 लाख 21 हजार रुपए में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का वर्क ऑर्डर मिला। यूनिक इंडिया कंपनी ने वर्क पूरा कर लिया, लेकिन जब उन्होंने भुगतान मांगा, तो अधिकारी उन्हें टालते रहे।

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जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा

जब नए CMHO डॉ. कपिल देव पैकरा ने पदभार संभाला, तब जयंत चौधरी ने फिर से संपर्क किया। जांच में पता चला कि टेंडर की पूरी रकम पहले ही किसी अन्य फर्म को दे दी गई है। हैरानी की बात यह थी कि भुगतान दंतेवाड़ा के यूनिक इंडिया कंपनी नामक एक अन्य फर्म को किया गया, जो आशीष कुमार बोरा के नाम से पंजीकृत है।

इस फर्म को 5 जनवरी 2022 को 50 लाख और 31 जनवरी को 31 लाख 85 हजार 881 रुपए का भुगतान हुआ, जिससे कुल 81 लाख 85 हजार 881 रुपए ट्रांसफर कर दिए गए।

पुलिस ने 5 लोगों पर दर्ज किया मामला

जयंत चौधरी की शिकायत के बाद सूरजपुर पुलिस ने इस घोटाले की गहराई से जांच की। जांच पूरी होने पर पुलिस ने तत्कालीन CMHO डॉ. रन साय सिंह, फर्जी फर्म के संचालक आशीष कुमार बोरा, सेवानिवृत्त लेखापाल विजय सिन्हा, सहायक ग्रेड-2 जेम्स कुमार बेक और फार्मासिस्ट सकिरन दास के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

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इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत धोखाधड़ी (Fraud) और गबन (Embezzlement) का केस दर्ज किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से फर्जी फर्म को मिला फायदा

इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर कर दिया है। यह सवाल भी उठता है कि टेंडर प्रक्रिया और भुगतान प्रणाली में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई, जिससे असली काम करने वाली कंपनी को अब तक भुगतान नहीं हुआ।

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