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Pratappur Congress MLA Fake Caste Certificate: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सूरजपुर (Surajpur) जिले में एक बड़ा राजनीतिक विवाद सामने आया है। प्रतापपुर (Pratappur) विधानसभा क्षेत्र की कांग्रेस विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते (Congress MLA Shakuntala Singh Porte) पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र (Fake Caste Certificate) के आधार पर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया गया है। ग्रामीणों ने इस मामले में कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों ने कहा कि यदि 7 दिनों के भीतर विधायक का जाति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं किया गया, तो वे आंदोलन (Protest) करेंगे। बताया जा रहा है कि इस मामले में चार माह पहले ही छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने जांच के आदेश जारी किए थे, लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
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RTI से खुलासा, पति के नाम पर बना जाति प्रमाण पत्र
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जनपद सदस्य जयसिंह कुसाम (Jaisingh Kusam) ने बताया कि उन्होंने सूचना का अधिकार (RTI) लगाकर इस मामले में जानकारी मांगी। जानकारी में सामने आया कि विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते का जाति प्रमाण पत्र उनके पति के नाम (Husband’s Name) से जारी किया गया है, जबकि नियमों के अनुसार यह उनके पिता के नाम (Father’s Name) से होना चाहिए था।
जयसिंह ने कहा कि “हमारे अनुसूचित जनजाति वर्ग (Scheduled Tribe Community) के लोगों के हक और अधिकार छीने जा रहे हैं। किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा हमारे समाज का प्रतिनिधित्व करना गलत है। यदि वह वास्तव में अनुसूचित जनजाति वर्ग की होतीं, तो क्षेत्र के लोग उनका स्वागत करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हुई जांच पूरी
जयसिंह कुसाम के अनुसार, हाईकोर्ट ने जांच समिति (Inquiry Committee) को कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसके बाद विधायक के सभी दस्तावेज मांगे गए, लेकिन अब तक रिपोर्ट तैयार नहीं की गई। उन्होंने बताया कि अंबिकापुर, वाड्रफनगर एसडीएम कार्यालय और बलरामपुर जिले में भी दस्तावेजों की जांच कराई गई, लेकिन कहीं भी मूल जाति प्रमाण पत्र नहीं मिला।
उनका कहना है कि “हमने एक टीम बनाकर कार्रवाई शुरू की है। अगर जांच समिति ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो हम धरना-प्रदर्शन करेंगे और आंदोलन करेंगे।”
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उत्तर प्रदेश मूल की बताई जा रही हैं विधायक शकुंतला सिंह
जनपद सदस्य ने यह भी दावा किया कि विधायक शकुंतला सिंह के पिता उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के निवासी हैं और प्रवासी के रूप में यहां नौकरी कर रहे थे। ऐसे में उन्होंने कहा कि “प्रवासी व्यक्ति को छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल सकता, फिर भी इनको लाभ मिला है। इन्होंने अपना जाति प्रमाण पत्र पति के नाम से बनवाया, जो नियमों के खिलाफ है।”
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