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CG Sharab Ghotala
CG Sharab Ghotala: छत्तीसगढ़ में पूर्व कांग्रेस सरकार के dönem में कथित भ्रष्टाचार की गड़बड़ी अब नए रूप में सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रदेश के लगभग 30 आबकारी अधिकारियों को PMLA की धारा 50 के तहत नोटिस जारी किया है। मामला अब तक मीडिया और जनता के सामने है, लेकिन कोई अधिकारी अभी तक सामने नहीं आया। इस नोटिस के साथ ही घोटाले की गहराई और राजनीतिक व प्रशासनिक जिम्मेदारी पर नए सवाल खड़े हो गए हैं।
अधिकारियों पर ED ने पकड़ी चाबी, कौन-कौन शामिल?
ED ने जिन अधिकारियों को नोटिस भेजा है, उनमें शामिल हैं- 1 अतिरिक्त आयुक्त, 5 उपायुक्त, 14 सहायक आयुक्त (उनमें से 3 सेवानिवृत्त), 7 जिला आबकारी अधिकारी (4 सेवानिवृत्त) और 3 सहायक जिला आबकारी अधिकारी। इन सभी अधिकारियों के नाम उस चौथे पूरक आरोपपत्र में दर्ज हैं, जिसे ACB/EOW ने रायपुर की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया था। इस आरोपपत्र में अतिरिक्त आयुक्त आशीष श्रीवास्तव, उपायुक्त अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद पटले, नीतू नोतानी ठाकुर, नोबर सिंह ठाकुर सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
₹3,200 करोड़ तक पहुंचा घोटाले का दायरा
शुरुआत में इस शराब घोटाले को लगभग ₹2,161 करोड़ का आंका गया था, लेकिन बाद में जांच के दायरे और गहराई ने इसे लगभग ₹3,200 करोड़ तक पहुंचा दिया है। EOW की प्रारंभिक जानकारी के अनुसार:
- पार्ट-ए में ₹319.32 करोड़
- पार्ट-बीएटी में ₹2,174.67 करोड़
- पार्ट-सी में ₹70 करोड़
कुल मिलाकर लगभग ₹2,563 करोड़ का खुलासा हो चुका है, जबकि ED की मनी लॉन्ड्रिंग जांच इसे और व्यापक मान रही है। ED ने पहले भी इस मामले में संपत्ति जब्त की है- लगभग ₹205.49 करोड़ की अचल-चाल संपत्तियाँ आरोपियों से जुड़े ठिकानों से जब्त की गई हैं।
अब तक की कार्रवाई और गिरफ्तारी
इस घोटाले से जुड़े अब तक 5 आरोपपत्र दायर किए गए हैं और 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें पूर्व आबकारी मंत्री और विधायक कवासी लखमा, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यापारियों अनवर ढेबर, और विशेष सचिव (आबकारी) अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं।
इस महीने की शुरुआत में पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास की भी गिरफ्तारी हुई थी, उन पर यह आरोप है कि उन्होंने नीतियों में हेरफेर कर अवैध बिक्री को बढ़ावा दिया। जांच एजेंसियों का आरोप है कि उन्होंने और अन्य अधिकारियों ने एक “समानांतर ढाँचा” तैयार किया था, जिसने आबकारी राजस्व की लूट की व्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से संचालित किया।
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नोटिस का पालन न करने वालों पर भारी कार्रवाई
ED सूत्रों का कहना है कि यदि कोई अधिकारी नोटिस का पालन नहीं करता है, तो उस पर कठोर कार्रवाई हो सकती है। उन्हें अदालत में पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि अब जांच की दिशा गंभीर और अनवरत है।
इस शराब घोटाले की जड़ में नौकरशाही, राजनीतिक शक्तियाँ और सिस्टम का दुरुपयोग शामिल हैं। ED ने आरोप लगाया है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों ने नीतियों को बदलने, भ्रष्ट लाइसेंस देने, नकली होलोग्राम और बोतलें इस्तेमाल करने जैसी गड़बड़ियों को अंजाम दिया।
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