AMBIKAPUR: छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा कोयला खदान में कोयला निकालने के लिए बड़े पैमाने में पेड़ों की कटाई का विरोध दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय के खिलाफ और आदिवासियों के समर्थन में भारत और विदेशो में भी आंदोलन(CG REL ROKO ANDOLAN) चल रहा है।आपको बता दें कि सरकार द्वारा कोयले की खदान के लिए इन पेढ़ो को काटने की अनुमति दी गई है जिसका अब विरोध हो रहा है।वहीं इस मामले में अब कोयला खनन परियोजना को स्वीकृति देने के खिलाफ चल रहे आंदोलन को समर्थन देते हुए छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया है,जिसको समर्थन देने छत्तीसगढ़ से हजारों की संख्या में आदिवासी हसदेव पहुंच रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि सरगुजा के हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के विरोध में दुनियाभर के सामाजिक ,पर्यावरण सचेतक और आदिवासी संगठन सामने आ गए हैं। हसदेव अरण्य के जंगलों में बीते एक दशक से जंगल काटकर कोयला निकाला जा रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से इसी क्षेत्र में दो नई खदान खोले जाने की मंजूरी मिलने के बाद प्रभावित ग्रामीणों ने अपना विरोध शुरू कर दिया है। स्थानीय ग्रामीण आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए बीते 79 दिनों से धरने पर बैठे हैं। जल ,जंगल और जमीन को बचाने के पक्षधर सर्व आदिवासी समाज के इस आंदोलन में शामिल होने का बाद सरकार पर दबाव बढ़ने लगा है।