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Suruguja Ramgarh Pahadi: सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी अब राज्य और केंद्र सरकार के बीच चर्चा का बड़ा विषय बन गई है। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) को पत्र लिखकर इस धार्मिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
यह पत्र पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) की पहल पर भेजा गया है, जिन्होंने 30 अगस्त 2025 को मंत्रालय को खत लिखा था। इसमें उन्होंने साफ कहा था कि केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक (Kete Extension Coal Block) से रामगढ़ पहाड़ी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
टीएस सिंहदेव ने उठाया था सवाल
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टीएस सिंहदेव ने हाल ही में स्थानीय ग्रामीणों और पुजारियों से मुलाकात की। उन्होंने रामगढ़ संरक्षण और संवर्द्धन समिति (Ramgarh Conservation and Promotion Committee) का गठन किया है। उनका कहना है कि यदि खदान के खिलाफ अब आवाज नहीं उठाई गई तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस शासनकाल में रामगढ़ की धरोहर को बचाने के लिए तत्कालीन केते एक्सटेंशन प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब फिर से मंजूरी देने की कोशिश की जा रही है, जो खतरनाक है।
खदान की ब्लास्टिंग से दरारों का दावा
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स्थानीय लोगों और पुजारियों का कहना है कि मौजूदा खदानों में हो रही ब्लास्टिंग से रामगढ़ पहाड़ी में पहले से दरारें आ चुकी हैं। यदि नई खदानें और खोली गईं तो पहाड़ी का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा। सिंहदेव ने इसे केवल राजनीति का नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक अस्तित्व का सवाल बताया।
भाजपा ने बनाई तीन सदस्यीय समिति
इस विवाद ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। भाजपा (BJP) ने 5 सितंबर को तीन सदस्यीय अध्ययन समिति का गठन किया। इसमें पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा (Shivratan Sharma), विधायक रेणुका सिंह (Renuka Singh) और प्रदेश महामंत्री अखिलेश सोनी (Akhilesh Soni) को शामिल किया गया। समिति ने सात दिन के भीतर रामगढ़ पहाड़ी का दौरा कर रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव (Kiran Singh Deo) को सौंप दी।
रामगढ़ पहाड़ी सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि पर्यावरण (Environment) और सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) का प्रतीक है। यही कारण है कि इसको बचाने की मांग लगातार उठ रही है। अब सबकी निगाहें छत्तीसगढ़ सरकार पर हैं कि वह केंद्र के पत्र पर कैसी कार्रवाई करती है।
भारत सरकार का पत्र-

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