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HC ने पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलसचिव की नियुक्ति को बताया अवैध, शैक्षणिक योग्यता पर उठे सवाल

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने रायपुर की पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलसचिव की नियुक्ति को बताया अवैध, शैक्षणिक योग्यता पर उठे सवाल

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Harsh Verma
HC ने पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलसचिव की नियुक्ति को बताया अवैध, शैक्षणिक योग्यता पर उठे सवाल

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर स्थित पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी (Pandit Ravishankar Shukla University) के प्रभारी कुलसचिव (Registrar-in-charge) शैलेन्द्र पटेल (Shailendra Patel) की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पटेल इस पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक और प्रशासनिक योग्यता को पूरा नहीं करते, ऐसे में उनकी नियुक्ति को वैध नहीं माना जा सकता।

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2022 से चल रहा था विवाद

यह मामला वर्ष 2022 से चल रहा है जब राहुल गिरी गोस्वामी (Rahul Giri Goswami) नामक शिकायतकर्ता ने पटेल की नियुक्ति प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि पटेल की नियुक्ति नियमों के विरुद्ध और गैर-कानूनी तरीके से की गई है। उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस में एक एफआईआर (FIR) भी दर्ज की गई थी, जिसका उल्लेख न्यायालय के आदेश में भी किया गया है।

याचिका की हुई खारिज

इस मामले में शैलेन्द्र पटेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी नियुक्ति को सही ठहराने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने 6 मार्च 2025 को अंतिम सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ने साफ कहा है कि पटेल की नियुक्ति वैध प्रक्रिया के तहत नहीं हुई है और वह कुलसचिव के लिए जरूरी मानकों पर खरे नहीं उतरते। इसी आधार पर उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया।

योग्यता के मानकों पर सवाल

कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि कुलसचिव पद के लिए विशेष शैक्षणिक योग्यता और प्रशासनिक अनुभव जरूरी होता है, जो शैलेन्द्र पटेल के पास नहीं है। कोर्ट का यह फैसला अब विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी सवाल खड़ा कर रहा है कि किस आधार पर इस तरह की नियुक्ति की गई।

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छात्रों और शैक्षणिक जगत में चर्चा

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के प्रशासन में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। छात्र संगठनों और शैक्षणिक समुदाय में भी इस फैसले को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन अगला कदम क्या उठाता है।

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