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CG Diploma vs Degree Dispute: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) में उप अभियंता (Sub Engineer) के 118 पदों के लिए निकाली गई भर्ती अब विवादों में उलझ चुकी है। यह विवाद "B.Ed बनाम D.Ed" जैसी बहस की तरह अब "डिप्लोमा बनाम डिग्री" में बदल चुका है, जहां लाखों डिप्लोमा धारक युवा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
PHE विभाग की भर्ती में विभाग ने पद के अनुसार न्यूनतम योग्यता के रूप में त्रिवर्षीय डिप्लोमा (Diploma) की अनिवार्यता तय की थी। सिविल (Civil), मैकेनिकल (Mechanical) और इलेक्ट्रिकल (Electrical) शाखाओं के लिए यह भर्ती निकाली गई थी। लेकिन कुछ डिग्रीधारी अभियर्थियों ने इस योग्यता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय, बिलासपुर (Bilaspur High Court) में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्हें अंतरिम राहत मिल गई।
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डिप्लोमा धारकों का दावा- JE पद के लिए डिप्लोमा ही मान्य
डिप्लोमा धारकों का तर्क है कि इसरो (ISRO), डीआरडीओ (DRDO), बीएचईएल (BHEL), एनटीपीसी (NTPC) जैसी प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थाओं में पद के अनुसार योग्यता तय होती है। चूंकि यह पद 'उप अभियंता' का है, ऐसे में डिप्लोमा पर्याप्त और उपयुक्त योग्यता है।
डिप्लोमा धारकों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है। उनका कहना है कि 7 नवम्बर 2024 को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में स्पष्ट किया गया है कि “भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियम नहीं बदले जा सकते।” ऐसे में डिग्री धारकों को इस प्रक्रिया में शामिल करना गलत है और यह लाखों डिप्लोमा युवाओं के अधिकारों का उल्लंघन है।
फैसला तय करेगा तकनीकी भर्तियों का भविष्य
यह विवाद अब सिर्फ PHE की भर्ती प्रक्रिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह आने वाली तमाम तकनीकी भर्तियों के लिए एक नज़ीर (precedent) बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि विभाग भविष्य में पद के अनुरूप योग्यता तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे या नहीं।
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