हाइलाइट्स
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25 कर्मियों की बर्खास्तगी से हड़कंप
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16 हजार कर्मियों का इस्तीफे का अल्टीमेटम
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स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित
CG NHM Employees News: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी आंदोलन ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को झकझोर दिया है। 18 दिन से चल रही हड़ताल के बीच सरकार ने 25 कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दीं, जिनमें प्रदेश संरक्षक हेमंत सिन्हा और महासचिव कौशलेश तिवारी भी शामिल हैं। इसके बाद संगठनों की फेसबुक पोस्ट और मैदान से मिल रही प्रतिक्रियाओं में 16,000 से अधिक कर्मियों द्वारा सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी गई है।
सरकार की सख्ती बनाम कर्मचारियों का तेवर
स्वास्थ्य विभाग (CG NHM Employees) का कहना है कि जनहित से जुड़ी सेवाएं बाधित नहीं होने दी जा सकतीं; 24 घंटे में ड्यूटी जॉइन करने के निर्देश दिए गए थे, उल्लंघन पर कार्रवाई तय थी। मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने दोहराया कि 10 में से 5 मांगों पर सहमति बन चुकी है। CR सिस्टम में पारदर्शिता, लीव सुविधाएं, ट्रांसफर पॉलिसी के लिए समिति, कम-से-कम 10 लाख का कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस, और वेतन वृद्धि पर 5% का प्रस्ताव- मगर कर्मचारी 27% बढ़ोतरी और नियमितीकरण पर स्पष्ट रोडमैप चाहते हैं।
कैसे बढ़ा विवाद ?
हड़ताल 18 अगस्त से जिलों में शुरू हुई, फिर संभागीय धरनों तक पहुँची। कर्मचारियों ने प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर मुखौटे पहनकर डांस किए, खून से पत्र लिखे और संचालनालय के बाहर आदेश की प्रति जलाई- संदेश साफ था कि वार्ता बिना समाधान नहीं। बुधवार रात 25 बर्खास्तगी के आदेश ने तनाव बढ़ाया; अगले ही दिन संगठनों ने सामूहिक इस्तीफा की चेतावनी सार्वजनिक की।
सेवाएं क्यों ठप पड़ीं ?
ओटी, प्रसूति सेवाएं, पैथोलॉजी, एक्स-रे, सोनोग्राफी और टीकाकरण जैसी आवश्यक सेवाएं कई अस्पतालों में प्रभावित हैं। नियमित स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर बैकअप तैनात किया गया, पर ग्रामीण इलाकों में आउटरीच और कार्यक्रम-आधारित सेवाओं पर असर बना हुआ है। मरीजों के लिए रेफरल का दबाव बढ़ा है और निजी क्षेत्र में लागत भी ऊपर गई है।
भाजपा नेताओं विजय बघेल और बृजमोहन अग्रवाल ने हड़ताल को “जायज मांगों” से जोड़ा, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने पिछली सरकार के अधूरे वादों पर आत्मालोचना की- नतीजा, संकट अब महज़ प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक विमर्श का भी केंद्र बन गया है।
कर्मचारियों की दलील और अगला कदम
कर्मचारी (CG NHM Employees) कहते हैं कि “मोदी गारंटी” के तहत संविदा कर्मियों के नियमितीकरण का वादा सौ दिनों में पूरा होना था; 20 महीनों और 160 से अधिक ज्ञापनों के बाद भी रोडमैप नहीं मिला। उनका तर्क है कि Public Health Cadre बने, ग्रेड-पे तय हो, रेगुलर भर्ती में आरक्षण मिले और अनुकंपा नियुक्ति सहित सुरक्षा जाल स्पष्ट हो। वे चेतावनी दे रहे हैं कि बर्खास्तगी से तंग आकर वे सामूहिक इस्तीफा दे सकते हैं, हालांकि संगठन बातचीत के दरवाजे बंद नहीं बता रहे।
क्या हो सकता है समाधान ?
विशेषज्ञ मानते हैं कि समाधान तीन पटरियों पर संभव है- पहली, तत्काल सेवाएं बहाल करने के लिए लिखित अंतरिम समझौता (इंक्रिमेंट की समयबद्ध चरणबद्धता, ट्रांसफर-पॉलिसी की नोटिफिकेशन-तिथि, CR पारदर्शिता की SOP)।
दूसरी, नियमितीकरण पर उच्च-स्तरीय समिति की समयबद्ध रिपोर्ट और फिस्कल इम्पैक्ट के साथ चरणबद्ध क्रियान्वयन। तीसरी, ग्रिवांस रिड्रेसल पोर्टल के जरिए स्थानांतरण, मूल्यांकन और शिकायतों की ट्रैकिंग ताकि अगली बार आंदोलन की नौबत न आए।
FAQs..
1. छत्तीसगढ़ NHM हड़ताल क्यों चल रही है?
उत्तर- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा कर्मचारी नियमितीकरण, 27% वेतन वृद्धि, ग्रेड-पे, और Public Health Cadre की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं।
2. सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं?
उत्तर- सरकार ने कर्मचारियों की 10 में से 5 मांगें मान ली हैं- CR सिस्टम पारदर्शिता, लीव सुविधा, ट्रांसफर पॉलिसी समिति, 10 लाख का कैशलेस इंश्योरेंस और 5% वेतन वृद्धि। लेकिन नियमितीकरण और 27% इंक्रीमेंट पर सहमति नहीं बनी।
4. हाल ही में सरकार ने क्या कार्रवाई की?
उत्तर- सरकार ने 25 संविदा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया, जिनमें संगठन के प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल हैं। इसके विरोध में 16,000 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफे का अल्टीमेटम दिया है।