नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस शासित सरकार ने एक नया मोर्चो खोलते हुए केंद्र के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका में छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयला ब्लॉक आवंटियों द्वारा ‘अतरिक्त शुल्क’ के रूप में जमा कराए गए 4,169.86 करोड़ रुपये 24 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाने की अपील की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने दरअसल संविधान के अनुच्छेद-131 के तहत एक मूल मुकदमा दायर किया है। यह अनुच्छेद किसी राज्य को केंद्र सरकार से विवाद के मामलों में सीधे उच्चतम न्यायालय में जाने की अनुमति देता है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 25 अगस्त, 2014 को जारी अपने आदेश में केंद्र सरकार द्वारा 14 जुलाई,1993 से 31 मार्च, 2011 के बीच किए गए कोयला ब्लॉकों के आवंटन को अवैध और मनमाना करार दिया था। न्यायालय ने सितंबर, 2014 में 42 कोयला ब्लॉक के आवंटन को रद्द कर दिया था। हालांकि, न्यायालय ने कहा था कि यह फैसला 31 मार्च, 2015 से प्रभावी होगा। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 42 कोयला ब्लॉकों के पूर्व-आवंटियों को खनन किए गए कोयले पर ‘अतिरिक्त शुल्क’ के रूप में 295 रुपये प्रति टन के हिसाब से भुगतान करने का आदेश दिया था। इन 42 ब्लॉकों में से आठ ब्लॉक छत्तीसगढ़ के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ सरकारी वकील सुमीर सोढ़ी ने कहा कि जहां तक इन आठ कोयला ब्लॉकों का संबंध है, तो केंद्र सरकार कानूनी रूप से 4,169.86 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि को 24 प्रतिशत के ब्याज के साथ हस्तांतरित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में बार-बार याद दिलाने के बावजूद केंद्र सरकार अतिरिक्त राशि को देने में विफल रही है। राज्य सरकार ने कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय से केंद्र सरकार को उक्त धनराशि को 24 प्रतिशत ब्याज सहित राज्य के खाते में तत्काल हस्तांतरित करने का आदेश देने का अनुरोध किया है।’ राज्य सरकार ने कहा कि 24 सितंबर, 2014 के आदेश में ‘अतिरिक्त’ शब्द का आशय आवंटियों से पूर्व में लिए गए शुल्क के अलावा जुटाई गई राशि से है।