रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) को लेकर हुई एक बैठक में शामिल नहीं हुए। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में छत्तीसगढ़ सहित 10 नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। उनके मुताबिक, बैठक के दौरान शाह को उग्रवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान और जमीनी स्तर पर की जा रही विकास गतिविधियों का जायजा लेना है। जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन और पुलिस महानिदेशक डी एम अवस्थी मुख्यमंत्री की तरफ से बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय राजधानी गए हैं।
उन्होंने बताया कि बघेल को रविवार दोपहर राज्य के महासमुंद जिले में चंद्रनाहू कुर्मी समाज के एक सम्मेलन में शामिल होना है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने ऐसे समय में अहम बैठक में शिरकत नहीं की है, जब छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति चर्चा का एक प्रमुख एजेंडा हो सकती है, क्योंकि राज्य में पिछले कुछ वर्षों में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर कई घातक हमले किए हैं। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि बस्तर में सुरक्षा बलों के शिविर स्थापित करने के मुद्दे पर रविवार को दिल्ली में शाह की बैठक में चर्चा होने की संभावना है।
बस्तर में किए जाएंगे स्थापित
यह शिविर खासकर बस्तर के दक्षिणी हिस्से में स्थापित किए जाने हैं, जिसमें सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण व अन्य विकास कार्यों पर भी चर्चा होने की संभावना है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हाल में जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, माओवादियों ने 2020 में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा अपराध किए हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2001 से इस साल जून तक नक्सली हिंसा में 1,237 सुरक्षाकर्मियों की जान गई है, जिनमें ज्यादातर अर्द्धसैनिक बलों के कर्मी हैं और 1,615 नागरिक मारे गए हैं। इसी अवधि के दौरान, सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के बाद 1,027 नक्सलियों के शव भी बरामद किए गए हैं, जबकि 4,552 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। राज्य के आठ जिले – बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा (सभी बस्तर क्षेत्र में) और राजनांदगांव – देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल हैं और तीन दशक से अधिक समय से इससे से जूझ रहे हैं।