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CG New District Katghora
हाइलाइट्स
कटघोरा को जिला बनाने की माँग
सरकार को 1 नवंबर की डेडलाइन
अधिवक्ताओं और संगठनों का ज्ञापन
CG New District Katghora: छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव को लेकर इस बार एक बार फिर कटघोरा को जिला बनाए जाने की मांग तेज हो गई है। लंबे समय से लंबित इस मुद्दे को लेकर अधिवक्ताओं और सामाजिक संगठनों ने मंगलवार को अनुविभागीय अधिकारी (SDM) को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि यदि 1 नवंबर तक घोषणा नहीं हुई तो आंदोलन उग्र रूप लेगा।
कटघोरा को जिला बनाने की मांग फिर तेज
राज्य निर्माण के इस प्रतीकात्मक अवसर पर कटघोरा क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं एक बार फिर सतह पर आ गई हैं। अधिवक्ता संघ और 50 से अधिक सामाजिक संगठनों ने मिलकर यह मांग उठाई है कि कटघोरा को अलग जिला घोषित किया जाए। उनका तर्क है कि भौगोलिक क्षेत्रफल और जनसंख्या घनत्व के लिहाज से कटघोरा एक पूर्ण जिले के सभी मापदंडों को पूरा करता है।
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अधिवक्ताओं ने SDM को सौंपा ज्ञापन[/caption]
सुविधाओं की कमी और पिछड़ेपन का हवाला
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि कटघोरा क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के पर्याप्त साधनों की भारी कमी है। जिससे क्षेत्र की बड़ी आबादी को बुनियादी सेवाओं के लिए कोरबा या बिलासपुर जैसे जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जिला बनने से न सिर्फ प्रशासनिक सुविधा बढ़ेगी, बल्कि विकास की रफ्तार भी तेज होगी।
पूर्व सरकारों पर वादा-खिलाफी का आरोप
अधिवक्ता संघ के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि पहले की सरकारों ने चुनावी मंचों पर कटघोरा को जिला बनाने के वादे किए थे, लेकिन जीत के बाद उन्हें भुला दिया गया। अब जनता की उम्मीद है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नेतृत्व में सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाएगी और राज्योत्सव के दिन इसे साकार करेगी।
1 नवंबर तक की डेडलाइन, आंदोलन की चेतावनी
कटघोरा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश पाल ने साफ शब्दों में कहा कि यदि राज्योत्सव तक कोई निर्णय नहीं आया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा। उनका कहना है कि "अब सब्र की सीमा खत्म हो चुकी है, शांतिपूर्ण तरीके से कई बार मांग रखी गई है, लेकिन सरकार की चुप्पी अब सवाल खड़े कर रही है।"
प्रशासनिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी जरूरी
स्थानीय कारोबारियों और संगठनों का भी मानना है कि कटघोरा को जिला घोषित करने से व्यापारिक गतिविधियों को नई दिशा मिलेगी और युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं प्रशासनिक कामकाज भी अधिक प्रभावशाली होगा, जिससे ग्रामीण इलाकों तक सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचेगा।
अब सबकी निगाहें 1 नवंबर 2025 को होने वाले राज्योत्सव पर टिकी हैं। क्या सरकार इस बार जनता की बहुप्रतीक्षित मांग को मानकर कटघोरा को नया जिला घोषित करेगी, या फिर यह मुद्दा एक बार फिर राजनीति के गलियारों में खो जाएगा?
नया जिला बनाने की प्रक्रिया
हालांकि किसी भी क्षेत्र को नया जिला बनाने के लिए प्रशासनिक, भौगोलिक और जनसंख्या आधारित जरूरतों का आकलन सबसे पहले किया जाता है। आमतौर पर राज्य सरकार यह निर्णय तब लेती है जब किसी क्षेत्र की आबादी बढ़ जाती है या प्रशासनिक दृष्टि से वह इलाका इतना विस्तृत हो जाता है कि वहां अलग जिला बनाकर शासन की पहुंच और सेवा की गुणवत्ता बेहतर की जा सके। नए जिले की मांग के पीछे स्थानीय जनता की सुविधा, दूरस्थ इलाकों तक प्रशासनिक नियंत्रण और संसाधनों का उचित वितरण भी एक अहम वजह होता है।
विधिवत प्रक्रिया में सबसे पहले संबंधित विभाग (आमतौर पर सामान्य प्रशासन विभाग) प्रस्ताव तैयार करता है, जिसमें उस क्षेत्र की जनसंख्या, क्षेत्रफल, विकास दर, राजस्व संग्रहण क्षमता, प्रशासनिक जटिलता, तथा अन्य बुनियादी ढांचे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन का विवरण होता है। इसके बाद कैबिनेट की मंजूरी मिलती है और फिर राजपत्र (गजट नोटिफिकेशन) के ज़रिए आधिकारिक घोषणा की जाती है। संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार यह अधिकार राज्य सरकार के अधीन होता है, इसलिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक नहीं होती।
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