/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/IhF9nvnt-CG-Naxal-Surrender-1.webp)
CG Naxal Surrender
हाइलाइट्स
48 घंटे में 271 आत्मसमर्पण
सुनील ने साथियों से की अपील
बस्तर बना शांति का केंद्र
CG Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद को लेकर बड़ा सामाजिक और रणनीतिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। 24 घंटे के भीतर 210 नक्सलियों के आत्मसमर्पण के ऐतिहासिक घटनाक्रम के बाद अब नक्सली संगठन के उदंती एरिया कमांडर ‘सुनील’ का एक भावुक पत्र सामने आया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन को एक नई उम्मीद दी है। इस पत्र में सुनील ने धमतरी, गरियाबंद और नुआपाड़ा डिवीजन में सक्रिय नक्सली साथियों से शांति और आत्मसमर्पण का रास्ता अपनाने की अपील की है।
बस्तर बना सरेंडर की क्रांति का केंद्र
बस्तर अब देश में नक्सलवाद से वापसी की सबसे बड़ी मिसाल बनता जा रहा है। शुक्रवार को जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के समक्ष 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें चंद्रबाबू नायडू पर हमले का मास्टरमाइंड ‘रूपेश’ भी शामिल था। इससे ठीक एक दिन पहले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने 61 नक्सलियों ने हथियार छोड़े थे।
अब, इन घटनाओं के कुछ घंटों के भीतर एरिया कमांडर सुनील का पत्र सामने आना यह दिखाता है कि नक्सल संगठन अंदर से टूटने लगे हैं और कई शीर्ष नक्सली भी अब आत्मसमर्पण की राह पर हैं।
सुनील की अपील- ‘अब देर न करें, सही फैसला लें’
सुनील ने अपने पत्र में लिखा है कि बस्तर और महाराष्ट्र के आत्मसमर्पण कर चुके साथियों ने सही फैसला लिया है, और अब समय आ गया है कि बाकी साथी भी सोचें कि क्या यह रास्ता वाकई सही है। उसने गोबरा, सीनापाली, एसडीके और सीतानदी क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों को 20 अक्टूबर को एकत्र होकर आत्मसमर्पण करने की अपील की है। अपने पत्र में सुनील ने रूपेश की तर्ज पर अपना मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किया है ताकि जो साथी हथियार छोड़ना चाहते हैं, वे सीधे संपर्क कर सकें।
केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश को नक्सलमुक्त बनाने का जो लक्ष्य तय किया था, वह अब समय से पहले ही हकीकत की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। पिछले 48 घंटों में लगभग 271 नक्सलियों का आत्मसमर्पण यह दर्शाता है कि अब इस हिंसात्मक विचारधारा का अंत निकट है।
गरियाबंद पुलिस सुनील के पत्र की तस्दीक जारी
गरियाबंद पुलिस ने सुनील द्वारा जारी इस पत्र की प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए जांच शुरू कर दी है। सुरक्षा एजेंसियां इसे एक संवेदनशील और सकारात्मक घटनाक्रम मान रही हैं। यदि सुनील वाकई आत्मसमर्पण करता है, तो यह इस क्षेत्र में नक्सलवाद के अंत की ओर एक निर्णायक मोड़ होगा।
रूपेश के सरेंडर से संगठन में पड़ी दरार
रूपेश, जो कि चंद्रबाबू नायडू के काफिले पर हमला करने की साजिश का मास्टरमाइंड रहा है, उसका आत्मसमर्पण न केवल नक्सली नेटवर्क की अंदरूनी टूटन को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब निचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक के कैडर इस संघर्ष से थक चुके हैं।
ये भी पढ़ें: Baloda Bazar: दीपावली में ‘वोकल फॉर लोकल’ की पहल, कलेक्टर ने मिट्टी के दीयों पर हटाया टैक्स
सरकार की पुनर्वास नीति बनी सरेंडर की प्रेरणा
छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति, जिसमें रोजगार, वित्तीय सहायता, सुरक्षा, और समाज में पुन:स्थापन की गारंटी दी जाती है, को आत्मसमर्पण की प्रमुख वजह माना जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह नीति अब पूरे देश के लिए आदर्श मॉडल बनती जा रही है।
बस्तर, जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, अब शांति, पुनर्वास और विकास का नया उदाहरण बनता जा रहा है। सुनील के पत्र ने यह साबित कर दिया है कि अब नक्सलियों के बीच भी बदलाव की लहर चल रही है और आने वाले दिनों में और भी बड़े आत्मसमर्पण की उम्मीद की जा रही है।
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें