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छत्तीसगढ़ नान घोटाला केस: रिटायर्ड आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला का सरेंडर टला, 22 सितंबर को होगी ईडी कोर्ट में सुनवाई

Chhattisgarh NAN scam: छत्तीसगढ़ नान घोटाला केस, रिटायर्ड आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला का सरेंडर टला, 22 सितंबर को होगी ईडी कोर्ट में सुनवाई

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Harsh Verma
Chhattisgarh NAN Scam

Chhattisgarh NAN scam: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बहुचर्चित नान (NAN) घोटाला मामले में रिटायर्ड आईएएस (IAS) अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला (Dr. Alok Shukla) का सरेंडर एक बार फिर टल गया है। डॉ. शुक्ला आज रायपुर (Raipur) स्थित ईडी (ED) की विशेष अदालत में सरेंडर करने पहुंचे थे, लेकिन आवेदन पर अब 22 सितंबर को सुनवाई होगी।

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बता दें कि डॉ. आलोक शुक्ला और पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा (Anil Tuteja) को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की डबल बेंचnजस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्माmने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी कस्टडी (ED custody) और फिर दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी।

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ईडी की दबिश और गिरफ्तारी की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के अगले ही दिन यानी 18 सितंबर को ईडी की टीम ने डॉ. शुक्ला के भिलाई (Bhilai) स्थित तालपुरी (Talpuri) निवास पर दबिश दी थी। सूत्रों के अनुसार ईडी छानबीन पूरी कर उनकी गिरफ्तारी की तैयारी में है। इसी गिरफ्तारी से बचने के लिए डॉ. शुक्ला ने आज कोर्ट में सरेंडर करने की कोशिश की।

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भूपेश सरकार में मिली थी ताकतवर पोस्टिंग

गौरतलब है कि नान घोटाले के समय डॉ. आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे और दिसंबर 2018 में ईओडब्ल्यू (EOW) ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। 2019 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) सरकार ने उन्हें अहम विभागों की जिम्मेदारी दी। आरोप है कि इस दौरान नान घोटाले की जांच को प्रभावित किया गया। इसी मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा (Satish Chandra Verma) पर भी एफआईआर दर्ज हुई थी, हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

क्या है नान घोटाला?

नान घोटाला फरवरी 2015 में उजागर हुआ था, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB/EOW) ने नागरिक आपूर्ति निगम (Nagrik Aapoorti Nigam - NAN) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे। इस दौरान 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए। जांच में पाया गया कि राइस मिलों से घटिया चावल खरीदकर करोड़ों की रिश्वत ली गई। चावल का भंडारण और परिवहन में भी भारी गड़बड़ियां सामने आईं। इसी भ्रष्टाचार में आईएएस अफसरों सहित कई अधिकारी आरोपी बनाए गए।

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