CG Liquor Scam Case: छत्तीसगढ़ में नकली होलोग्राम मामले में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब कारोबारी अनवर ढेबर और पूर्व आबकारी अफसर अरुणपति त्रिपाठी को रायपुर लाने की तैयारी शुरू कर दी है. दोनों इस वक्त उत्तर प्रदेश के मेरठ जेल में बंद हैं.
इसके लिए कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट लेकर यूपी पुलिस को भेजा गया है. हालांकि, इस वारंट के खिलाफ अनवर और अरुणपति के वकीलों ने हाईकोर्ट में अपील की है. ईडी उन्हें हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही रायपुर ला सकेगी.
मेरठ जेल में न्यायिक रिमांड पर हैं अनवर और अरुणपति
आपको बता दें कि अनवर और अरुणपति मेरठ जेल में न्यायिक रिमांड पर हैं. ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई लोगों से इस मामले (CG Liquor Scam Case) में पूछताछ की है. कानूनी जानकारों के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश के बिना उन्हें रायपुर नहीं लाया जा सकता. यूपी पुलिस जब चालान पेश करेगी, उसके बाद ही उन्हें रायपुर लाना संभव होगा. इसमें फिलहाल एक से डेढ़ माह लग सकता है.
अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी ने किया था बड़ा खुलासा
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले (CG Liquor Scam Case) में नकली होलोग्राम को लेकर अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी ने बड़ा खुलासा किया है. दोनों आरोपियों ने यूपी STF को पूछताछ में बताया था कि इस केस की सबसे बड़ी बेनिफिशरी डिस्टलरी कंपनियां (शराब निर्माता कंपनियां) थीं. जिसमें भाटिया वाइन एंड मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड और छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज और वेलकम डिस्टलरीज शामिल हैं.
नकली होलोग्राम केस क्या है?
FIR के अनुसार, नोएडा स्थित PHSF (मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) नाम की कंपनी को टेंडर दिया गया था. यह टेंडर होलोग्राम की आपूर्ति करने के लिए छत्तीसगढ़ के एक्साइज डिपार्टमेंट ने अवैध रूप से दिया था. जबकि कंपनी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र नहीं थी.
आरोप है कि, टेंडर के लिए आबकारी विभाग के विशेष सचिव AP त्रिपाठी, तत्कालीन आबकारी कमिश्नर निरंजन दास और तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा ने उसकी शर्तों में संशोधन किया. जिसके बदले में प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन कंपनी के मालिक विधु गुप्ता से लिया गया. कंपनी से बेहिसाब डूप्लीकेट होलोग्राम लिए गए, ताकि प्रदेश में सरकारी दुकानों से अवैध देसी शराब की बोतल बेच सकें.
शराब निर्माता कंपनियों तक पहुंचता था डूप्लीकेट होलोग्राम
विधु गुप्ता टेंडर मिलने के बाद डूप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Liquor Scam Case) के सक्रिय सिंडिकेट को करने लगा. CSMCL के तत्कालीन एमडी अरुणपति त्रिपाठी के निर्देश पर यह सप्लाई की गई. सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य विधु गुप्ता से डूप्लीकेट होलोग्राम लेकर सीधे तीनों शराब निर्माता कंपनियों को पहुंचा देते थे.
जिसके बाद होलोग्राम को इन डिस्टलरीज में अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाया जाता और फर्जी ट्रांजिट पास के साथ CSMCL की दुकानों तक पहुंचाया जाता था. छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से फर्जी ट्रांजिट पास का काम होता था. इन दुकानों पर गैंग के कर्मचारी रहते थे.
गैंग के कर्मचारी अवैध शराब को असली शराब के साथ बेच देते थे. अवैध शराब का पैसा अलग से इकट्ठा किया जाता था. गैंग सदस्य अवैध शराब से आया पैसा अलग से कलेक्ट करते. इसके बाद पैसे को बड़े अधिकारियों के पास पहुंचाया जाता. सभी सदस्यों का कमीशन फिक्स था. आरोप है कि 2019 से 2022 तक हर महीने 400 ट्रक की अवैध शराब की सप्लाई की गई.
अनवर ढेबर पर ये आरोप
यूपी STF ने बताया है कि रायपुर का कारोबारी अनवर ढेबर राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय था. उसने तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, IAS निरंजनदास, अरुणपति त्रिपाठी और अन्य की मदद से विधु गुप्ता की कंपनी को फर्जी तरीके से होलोग्राम देने की शर्त पर टेंडर दिलवाया. इसके साथ ही अवैध शराब को डिस्टलरी के जरिए सरकारी दुकानों से ही बिकवाकर कैश कलेक्शन कराया.
ढेबर पर अवैध शराब से आई रकम में से 300 रुपए प्रति पेटी के हिसाब से कमीशन लेने का आरोप है. ढेबर इस घोटाले से जमा होने पैसे का एक बड़ा अमाउंट राजनीतिक संरक्षकों तक पहुंचाता था.
ED ने 2023 में दर्ज कराया था मामला
ED ने जुलाई 2023 में इस घोटाले से जुड़े नकली होलोग्राम मामले (Chhattisgarh Liquor Scam Case) में नोएडा के कासना थाने में तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास, एपी त्रिपाठी,अनवर ढेबर और तत्कालीन सचिव इंडस्ट्रीज निलंबित IAS अनिल टुटेजा के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इसके साथ-साथ PHSF के डायरेक्टर विधु गुप्ता के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया गया था.
यह भी पढ़ें: पिता की मौत के बाद शव अस्पताल में छोड़ जा रहे थे दिव्यांग बच्चे: अंतिम संस्कार के नहीं थे पैसे, पुलिस ने दी मुखाग्नि