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CG Kisan News: ग्रामीण बाजारों में ‘बायो’ के नाम पर जहर! नकली जैविक उत्पादों से चिंता में किसान

CG Kisan News: छत्तीसगढ़ के गांवों में नकली जैविक खाद और कीटनाशक बेचने का मामला सामने आया है। वैज्ञानिक परीक्षणों में रासायनिक तत्व पाए गए। किसान परेशान।

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Shashank Kumar
CG Kisan News

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हाइलाइट्स

  • जैविक के नाम पर रसायन
  • किसान बोले, उधारी में न लें
  • वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
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CG Kisan News: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण बाजारों में किसानों को जैविक खेती के नाम पर नकली और संदिग्ध खाद व कीटनाशक बेचे जा रहे हैं। पैकेटों पर “बायो” या “ऑर्गेनिक” लिखे होने के बावजूद, इनमें रासायनिक तत्व पाए जा रहे हैं, जिससे मिट्टी, फसल और पर्यावरण पर खतरनाक असर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों की चेतावनी के बाद अब किसानों में चिंता गहराने लगी है, वहीं प्रशासन भी सैंपलिंग और जांच की बात कर रहा है।

वैज्ञानिक परीक्षण में खुली पोल

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि बाजार में उपलब्ध कई तथाकथित जैविक उत्पादों का उन्होंने व्यक्तिगत परीक्षण किया। इन परीक्षणों में पाया गया कि कई उत्पादों में घातक रासायनिक तत्व मौजूद हैं, जो केंचुओं की मृत्यु और पौधों में जहरीले लक्षण पैदा कर रहे हैं।

“कई ब्रांड के उत्पाद जैविक होने का दावा करते हैं, लेकिन उनके अंदर रसायनों की मौजूदगी स्पष्ट है। अगर विभागीय जांच हुई तो और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।”
डॉ. गजेंद्र चंद्राकर, कृषि वैज्ञानिक

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किसान नेता बोले- सतर्क रहें, उधारी भुगतान रोकें

किसान एवं आदिवासी नेता जितेंद्र ‘गोलू’ मंडावी ने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि वे ऐसे किसी भी उत्पाद का भुगतान न करें जो बिना सर्टिफिकेट और वैज्ञानिक परीक्षण के हो। उन्होंने बताया कि अगर कंपनियां किसानों को गुमराह कर रही हैं, तो डीलरों को भी सतर्क रहना चाहिए और भुगतान रोकना चाहिए। किसानों को सलाह दी गई है कि वे GST बिल, प्रिंसिपल सर्टिफिकेट, और ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन जैसे दस्तावेजों की पूरी जांच करें।

कंपनी का दावा- 'हम पूरी तरह पारदर्शी'

छत्तीसगढ़ में जैविक उत्पाद बेचने वाली भूमि एग्रो इंडस्ट्रीज के रीजनल मैनेजर श्री तिवारी ने दावा किया कि उनकी कंपनी सभी उत्पाद वैधानिक प्रमाणपत्र, GST, और क्लियर टैगिंग के साथ बेच रही है। उन्होंने कहा कि अगर कोई अन्य कंपनी ऐसा कर रही है तो उसके खिलाफ जांच और कार्यवाही होनी चाहिए।

सैंपलिंग और कार्रवाई की तैयारी

कृषि विभाग रायपुर के उपसंचालक ने मीडिया को बताया कि ऐसे उत्पादों की बिक्री की जानकारी मिलने पर सैंपलिंग कर अधिकृत लैब में परीक्षण कराया जाएगा। यदि उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतरते, तो संबंधित कंपनियों और डीलरों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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प्रमाण पत्र के बिना न खरीदें जैविक 

कृषि वैज्ञानिकों और विभाग की सलाह है कि किसान केवल प्रमाणित और पंजीकृत जैविक उत्पाद ही खरीदें। किसी भी ऐसे ब्रांड पर भरोसा न करें जिसके पास उचित दस्तावेज न हों। “सस्ता या आकर्षक पैकेट देखकर खरीदारी करना किसानों के लिए महंगा सौदा बन सकता है।”

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