CG ka Mausam: छत्तीसगढ़ में मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है और प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनने लगी है। मौसम विभाग ने 6 जिलों में फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) का येलो अलर्ट जारी किया है। साथ ही आगामी 3 घंटों और फिर 6 से 7 जुलाई तक विशेष सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है।
इन जिलों में विशेष सतर्कता जरूरी
मौसम विभाग (CG ka Mausam) ने कोरिया, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, सूरजपुर, बिलासपुर, सरगुजा, कोरबा और जशपुर जिलों में अगले 24 घंटे के भीतर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने की चेतावनी दी है। इन जिलों में नदियों और नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ सकता है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन सकती है।
अगले 3 घंटों के लिए चेतावनी वाले जिले
जिले | चेतावनी |
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राजनांदगांव, बलौदा बाजार, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर, कोरबा, गौरेला-पेंड्रा, मरवाही, बेमेतरा, कबीरधाम, मुंगेली, सुरगुजा, सूरजपुर, कोरिया | गरज-चमक, वज्रपात, तेज हवा (30-40 KMPH) और मध्यम बारिश का अलर्ट |
प्रदेशभर में अगले तीन दिनों तक भारी वर्षा की संभावना
मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि आगामी एक सप्ताह तक छत्तीसगढ़ में मानसून सक्रिय रहेगा। खासकर बिलासपुर और सरगुजा संभाग में अगले 3 दिनों तक एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। वहीं 6 और 7 जुलाई को उत्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ में वर्षा की तीव्रता और बढ़ सकती है, जिससे कुछ क्षेत्रों में बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
पिछले 24 घंटों में दक्षिण-पश्चिम मानसून गतिविधियां प्रदेश में सक्रिय रही। सक्ती, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, महासमुंद, जशपुर और सुकमा जिलों में अधिकांश स्थानों पर वर्षा हुई तथा कुछ स्थानों पर भारी वर्षा दर्ज की गई। इस दौरान सबसे ज्यादा तापमान अंबिकापुर में 29.2 डिग्री और सबसे कम तापमान 21.2 डिग्री दुर्ग में दर्ज किया गया है।
पिछले 24 घंटे में प्रमुख वर्षा आंकड़े (सेमी में)
जिला/क्षेत्र | वर्षा |
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ढाभरा | 13 सेमी |
रायगढ़ | 10 सेमी |
पुसौर, छाल | 9 सेमी |
भटगांव, सारंगढ़ | 8 सेमी |
सुकमा, सरिया, सरायपाली | 7 सेमी |
मरवाही, चंद्रपुर | 7 सेमी |
जांजगीर, बेलगहना, सारागांव | 6 सेमी |
कई अन्य स्थान | 1–5 सेमी |
रायपुर में भी बारिश और गरज-चमक की संभावना
राजधानी रायपुर में बादल छाए रहने के साथ गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जताई गई है। तापमान 24°C से 27°C के बीच रहने का अनुमान है। मौसम विभाग (CG ka Mausam) ने विशेषकर राहगीरों और दोपहिया चालकों से सतर्क रहने की अपील की है।
सिनोप्टिक सिस्टम का प्रभाव
वर्तमान मानसून गतिविधियों के पीछे तीन प्रमुख वायुमंडलीय तंत्र जिम्मेदार हैं:
- मानसून द्रोणिका रेखा जो बीकानेर से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत है।
- चक्रवाती परिसंचरण पूर्वोत्तर मध्यप्रदेश व उत्तर ओडिशा क्षेत्र में 1.5 से 5.8 किमी ऊंचाई तक प्रभावी है।
- उत्तर-पूर्व अरब सागर से पश्चिम बंगाल तक फैली द्रोणिका जो छत्तीसगढ़ से होकर गुजर रही है।
कृषि और जनजीवन पर प्रभाव
भारी बारिश और बाढ़ की चेतावनी से किसानों को नुकसान होने की संभावना है। विशेष रूप से निचले क्षेत्रों में फसलें जलभराव से प्रभावित हो सकती हैं। आम जनता को सलाह दी गई है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और मौसम विभाग की ताजा चेतावनियों पर नजर बनाए रखें।
छत्तीसगढ़ में जारी मानसून की तेज गतिविधियों को देखते हुए सभी जिलों में अलर्ट मोड पर रहना बेहद जरूरी है। राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन दल को सतर्क कर दिया गया है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।