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CG Instagram Cyber Fraud
CG Instagram Cyber Fraud : छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ पुलिस ने एक ऐसी सनसनीखेज कार्रवाई को अंजाम दिया है जिसने पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया है। इंस्टाग्राम पर साड़ी बेचने के नाम पर हुई एक मामूली ऑनलाइन ठगी (Online Fraud) की शिकायत ने पुलिस को एक 50 करोड़ रुपए के साइबर फ्रॉड (Cyber Crime Network) तक पहुंचा दिया।
छात्रा की छोटी शिकायत बनी बड़े खुलासे की शुरुआत
यह पूरा मामला तब सामने आया जब खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय की छात्रा वसुधा सिन्हा ने पुलिस से शिकायत की कि उसने इंस्टाग्राम पर एक ऑनलाइन साड़ी शॉपिंग पेज से ऑर्डर किया था, लेकिन ₹64,000 का भुगतान करने के बावजूद उसे साड़ी नहीं मिली। शुरुआत में यह मामला एक सामान्य ऑनलाइन ठगी जैसा लगा, लेकिन खैरागढ़ साइबर सेल (Cyber Cell Khairagarh) ने जब तकनीकी जांच शुरू की, तो सामने आया कि यह फ्रॉड किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक संगठित गिरोह का हिस्सा है जो देशभर में फैला हुआ है।
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मुंबई के डोम्बिवली से चल रहा था ठगी का नेटवर्क
जांच में पता चला कि यह गिरोह मुंबई के डोम्बिवली और कल्याण (Mumbai Dombivli Kalyan Cyber Gang) इलाकों से संचालित हो रहा था। आरोपी इंस्टाग्राम पर साड़ी बेचने के फर्जी पेज बनाकर महिलाओं को टारगेट करते थे। उनके पेज इतने प्रोफेशनल दिखते थे कि लोग उन्हें असली शॉपिंग साइट समझ बैठते थे।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि यह गिरोह “100 Book” नाम का एक ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग ऐप भी चला रहा था। इस ऐप के जरिए ठगी से हासिल रकम को वैध ट्रांजेक्शन की तरह दिखाने की कोशिश की जाती थी- यानी साड़ी बेचने का बहाना सिर्फ लोगों को जाल में फंसाने का तरीका था, जबकि असली मकसद था मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering via Online Gaming Apps)।
100 से अधिक फर्जी खाते, ₹50 करोड़ का ट्रांजेक्शन
साइबर सेल की टीम ने जब आरोपियों के बैंक ट्रांजेक्शन और मोबाइल डेटा का विश्लेषण किया तो सामने आया कि इस गिरोह ने ठगी को अंजाम देने के लिए 100 से अधिक फर्जी बैंक खाते और सिम कार्ड (Fake Bank Accounts and SIM Cards) का इस्तेमाल किया।
इन खातों के माध्यम से पिछले कुछ महीनों में करीब ₹50 करोड़ का ट्रांजेक्शन किया गया था। गिरोह ने इन पैसों को अलग-अलग वॉलेट्स, पेमेंट गेटवे और ऐप्स के जरिए ट्रांसफर किया, ताकि पुलिस को उनकी गतिविधियों का सीधा सुराग न मिल सके।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान और जब्त सामान
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मुंबई से 8 आरोपी गिरफ्तार[/caption]
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में महाराष्ट्र और बिहार के रहने वाले गौतम पंजाबी, पवन सुरूसे, विनायक मोरे, अमित मोरे, रामचंद्र चौके, अमोल दिवनाने, अभिषेक डंबडे और मनोज मुखिया शामिल हैं। पुलिस ने इनके पास से 5 लैपटॉप, 14 मोबाइल, 51 बैंक पासबुक, 51 एटीएम कार्ड, 15 चेकबुक और 25 सिम कार्ड (Cyber Crime Evidence) बरामद किए हैं।
इन सभी उपकरणों की फॉरेंसिक जांच (Forensic Investigation) के लिए साइबर एक्सपर्ट्स को भेजा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ठगी में कौन-कौन से डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया था।
मुंबई में एकसाथ दो ठिकानों पर छापा
खैरागढ़ पुलिस ने इस केस को सुलझाने के लिए बेहद पेशेवर तरीका अपनाया। पुलिस की टीम ने मुंबई में सात दिनों तक डेरा डाला और संदिग्धों की गतिविधियों पर नजर रखी। टीम के सदस्यों ने इलाके में खुद को डिलीवरी ब्वॉय (Delivery Boy Disguise) बताकर रेकी की, ताकि किसी को शक न हो। जब पूरी जानकारी पुख्ता हो गई, तो पुलिस ने डोम्बिवली के दो फ्लैटों पर एकसाथ छापा मारा (Mumbai Police Raid) और 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
भारत में तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामले
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Cyber ​​Fraud[/caption]
बता दें, भारत में पिछले 3 वर्षों में ऑनलाइन ठगी (Online Scam in India) के मामलों में 200% की वृद्धि हुई है। खासतौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और टेलीग्राम पर अब छोटे कारोबार और शॉपिंग पेजों के बहाने लोगों से करोड़ों की ठगी की जा रही है।
इंटरनेट फ्रॉड अलर्ट (Cyber Awareness Tips) के अनुसार, ऐसे मामलों से बचने के लिए किसी भी अज्ञात पेज या अकाउंट से ट्रांजेक्शन करने से पहले उसकी वैरिफाइड पहचान देखना जरूरी है।
संगठित अपराध और जुआ अधिनियम के तहत केस दर्ज
राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य ने बताया कि आरोपियों पर संगठित अपराध अधिनियम और जुआ अधिनियम (Organized Crime & Gambling Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी को न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है और अब पुलिस गिरोह के बाकी नेटवर्क की कड़ियां जोड़ने में लगी है।
आईजी ने कहा, “खैरागढ़ पुलिस की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि चाहे अपराधी डिजिटल दुनिया में कितने भी माहिर क्यों न हों, कानून के हाथ उनसे दूर नहीं हैं (Cyber Criminals Can't Escape Law)।”
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Cyber Criminals Can't Escape Law[/caption]
खैरागढ़ पुलिस की सतर्कता बनी मिसाल
खैरागढ़ पुलिस की यह कार्रवाई न केवल प्रदेश बल्कि देशभर की साइबर क्राइम यूनिट्स के लिए एक मिसाल बनी है। एक छात्रा की छोटी-सी शिकायत को गंभीरता से लेकर पुलिस ने जिस तरह 50 करोड़ रुपए की ठगी का पर्दाफाश किया, वह उनकी प्रोफेशनलिज्म और डेडिकेशन को दिखाता है।
यह मामला यह भी सिखाता है कि हर डिजिटल लेन-देन (Digital Transaction Safety) में सावधानी बरतना जरूरी है, क्योंकि कभी-कभी एक छोटी गलती आपको बड़े साइबर फ्रॉड में फंसा सकती है।
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FAQs..
1: इंस्टाग्राम या सोशल मीडिया पर साड़ी या अन्य चीजें खरीदते समय ठगी से कैसे बचें?
जवाब: खरीदारी करने से पहले हमेशा उस पेज या अकाउंट की वेरिफाइड पहचान (Verified Account Badge) देखें। अगर पेज नया है या उसके बहुत कम फॉलोअर्स हैं, तो उससे ट्रांजेक्शन न करें। साथ ही, गूगल रिव्यू या कमेंट्स जरूर पढ़ें और पहले COD (Cash on Delivery) का विकल्प चुनें।
2: अगर ऑनलाइन ठगी हो जाए तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?
जवाब: तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) या 112 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज करें। इसके साथ ही नजदीकी साइबर सेल या थाने में जाकर लिखित रिपोर्ट दें। समय पर कार्रवाई से कई बार पैसों की रिकवरी संभव होती है।
3: क्या छोटे साइबर फ्रॉड (जैसे ₹1000–₹5000) की शिकायत करना जरूरी है?
जवाब: बिल्कुल हां। छोटी रकम की शिकायतें ही बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश कर सकती हैं, जैसे इस मामले में हुआ। पुलिस को जितनी ज्यादा शिकायतें मिलेंगी, उतनी जल्दी वह ठगों का पैटर्न (Fraud Pattern) पहचान सकेगी।
4: ऐसे साइबर ठग अपने खातों और मोबाइल नंबर कैसे छिपाते हैं?
जवाब: ये ठग फर्जी सिम कार्ड, ई-वॉलेट और शेल कंपनियों (Fake SIMs & Shell Accounts) के जरिए ट्रांजेक्शन करते हैं। कुछ गिरोह पैसे को गेमिंग और बेटिंग ऐप्स (Online Betting Apps) के जरिए घुमाते हैं ताकि उनकी पहचान छिपी रहे।
5: सोशल मीडिया फ्रॉड से बचने के लिए क्या डिजिटल सावधानियां रखनी चाहिए?
जवाब:
- किसी भी अनजान लिंक या ऑफर पर क्लिक न करें।
- कभी भी अपनी बैंक डिटेल, OTP या पासवर्ड किसी को न दें।
- दो-स्तरीय वेरिफिकेशन (2-Step Verification) हमेशा ऑन रखें।
- संदिग्ध पेज या विज्ञापन को तुरंत Report करें।
- बच्चों और बुजुर्गों को भी ऑनलाइन ठगी के बारे में शिक्षित करें।
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