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CG हाईकोर्ट ने राम मंदिर के पुजारी और परिवार को दी राहत: एट्रोसिटी केस की कार्रवाई पर रोक, शिकायतकर्ता से मांगा जवाब

CG High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने मनेन्द्रगढ़ के राम मंदिर के पुजारी और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज एट्रोसिटी केस की कार्रवाई पर रोक लगाई है।

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Harsh Verma
CG Bilaspur High Court

CG Bilaspur High Court

CG High Court: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने मनेन्द्रगढ़ (Manendragarh) के राम मंदिर (Ram Mandir) के पुजारी और उनके परिवार को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने एट्रोसिटी एक्ट (Atrocity Act) के तहत दर्ज एफआईआर (FIR) की कार्रवाई पर रोक लगाई है। साथ ही शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक दोनों पक्षों की बात नहीं सुनी जाती, तब तक किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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मामला जातिगत टिप्पणी से जुड़ा

यह पूरा मामला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के वार्ड क्रमांक 17 के राम मंदिर परिसर से जुड़ा है। शिकायतकर्ता नरसिंह वासिया ने पुजारी रामचरित द्विवेदी, ठाकुर प्रसाद द्विवेदी उर्फ सोनू नित्यानंद द्विवेदी और दिनेश कुमार द्विवेदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने मंदिर परिसर में जातिगत टिप्पणी कर उनका अपमान किया। शिकायत के बाद पुलिस ने पुजारी और उनके परिवार को कई बार थाने बुलाया।

हाईकोर्ट में लगाई FIR रद्द करने की मांग

पुजारी परिवार ने परेशान होकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उनके वकील अमित कुमार ने दलील दी कि यह शिकायत पूरी तरह झूठी है और पुराने विवाद के चलते साजिश के तहत दर्ज कराई गई है। उन्होंने बताया कि शिकायत 10 अगस्त 2023 को दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस ने तत्काल एफआईआर नहीं की। बाद में शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 156(3) (Section 156(3) of CrPC) के तहत कोर्ट में आवेदन दिया।

न्यायालय ने कहा – कार्रवाई पर रोक, जवाब पेश करें

15 जुलाई 2025 को निचली अदालत ने आवेदन स्वीकार करते हुए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में कहा कि जब तक जांच की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक एफआईआर पर रोक रहेगी। अदालत ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्यों न प्राथमिकी (FIR) को रद्द किया जाए।

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दोनों पक्षों में पहले से चल रहा विवाद

जानकारी के अनुसार, पुजारी परिवार और शिकायतकर्ता के बीच पहले से ही संपत्ति और मंदिर संचालन को लेकर विवाद चल रहा है। इसी कारण दोनों पक्षों के खिलाफ पहले भी सीआरपीसी की धारा 107 और 116(3) के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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