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CG High Court Silver Jubilee Celebration: राज्यपाल रमेन डेका की सख्त टिप्पणी, कहा- न्याय में देरी से बढ़ा मीडिया ट्रायल

CG High Court Silver Jubilee Celebration: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजत जयंती समारोह में राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि अदालतों को न्याय में हो रही देरी पर ध्यान देना होगा।

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Shashank Kumar
CG High Court Silver Jubilee Celebration

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हाइलाइट्स

  • न्याय में देरी पर उठे सवाल

  • बेल देने में झिझक की आलोचना

  • जेठमलानी किस्सों से हल्का माहौल

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CG High Court Silver Jubilee Celebration : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजत जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में जहां न्यायिक उपलब्धियों का उत्सव मनाया गया, वहीं राज्यपाल रमेन डेका ने अपने बेबाक भाषण में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि कोर्ट को अब देरी से मिलने वाले न्याय पर ध्यान देना होगा, क्योंकि इसी देरी के कारण मीडिया ट्रायल जैसी प्रवृत्तियां बढ़ती जा रही हैं।

'इमारतें नहीं, न्याय की बुनियाद जरूरी है'

कार्यक्रम में उपस्थित न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और विधि छात्रों के बीच राज्यपाल रमेन डेका ने न्यायालय की भव्य बिल्डिंग की बजाय न्याय की गुणवत्ता को असली प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि "हमें याद रखना चाहिए कि अदालत की खूबसूरती नहीं, वहां से निकलने वाला न्याय ही उसकी असली पहचान है।"

बार और बेंच के बीच के संघर्षों का भी जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये टकराव न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं और न्याय तक आम आदमी की पहुंच कठिन बना देते हैं।

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'बेल देने में झिझक से बढ़ रहा मीडिया ट्रायल'

राज्यपाल ने कहा कि लोअर कोर्ट आज बेल देने से डरता है, क्योंकि जैसे ही किसी बड़े केस में जमानत मिलती है, मीडिया में उसका ट्रायल शुरू हो जाता है। इसीलिए अब लोगों को बेल के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ता है। उन्होंने साफ कहा कि यह स्थिति न्यायपालिका की नाकामी नहीं तो और क्या है, जब एक निर्दोष व्यक्ति बिना अपराध सिद्ध हुए महीनों या वर्षों तक जेल में बंद रहता है, और केवल मीडिया की छवि के डर से कोर्ट निर्णय लेने में हिचकिचाता है।

'100 रुपए की रिश्वत के खिलाफ 3 दशक तक लड़ाई'

अपने उद्बोधन में राज्यपाल ने एक 30 साल पुराने रिश्वत केस का जिक्र किया, जिसमें एक व्यक्ति ने महज 100 रुपए की रिश्वत के खिलाफ 3 दशक तक लड़ाई लड़ी, और आखिरकार न्याय जीता। उन्होंने कहा कि "यह लड़ाई सिर्फ पैसे की नहीं थी, यह लड़ाई थी आत्म-सम्मान की, आत्म-न्याय की। यही वो उदाहरण हैं जो न्यायपालिका की आत्मा को जीवित रखते हैं।" यह टिप्पणी उन लाखों लोगों की ओर इशारा था जो न्याय के लिए वर्षों तक कोर्ट के चक्कर काटते हैं, और फिर भी समाधान नहीं मिलता।

'देर से मिला न्याय, न्याय नहीं'

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राज्यपाल डेका ने देरी से मिलने वाले न्याय को “अन्याय” करार देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति वर्षों बाद इंसाफ पाता है, तो वह न्याय नहीं बल्कि सामाजिक ठहराव का रूप बन जाता है। उन्होंने चेताया कि जनता की नजरें न्यायपालिका पर टिकी हैं, और अगर न्याय का भरोसा डगमगाया, तो लोकतंत्र की सबसे मजबूत नींव हिल जाएगी।

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जेठमलानी से जुड़े किस्सों से माहौल  हल्का, लेकिन संदेश गंभीर

राज्यपाल ने वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी से जुड़ी कुछ रोचक किस्से भी साझा किए, जिससे कार्यक्रम में थोड़ी मुस्कान आई। उन्होंने बताया कि कैसे एक इंटरव्यू के दौरान जेठमलानी ने व्हिस्की के पेग के साथ बातचीत की। उन्होंने इस दौरान कहा कि मेरी बेटी आपकी बड़ी फैन है। उसने मुझे आपके बारे में बताया कि आप निजी मीडिया चैनल को इंटरव्यू व्हिस्की के पेग लेकर देते हैं। तब राम जेठ मालानी ने भी बताया कि रात 8:15 बजे मुझे पेग चाहिए।

'ड्रिंक करते हैं, इसलिए मंत्री नहीं बनाया'

राज्यपाल ने यह भी बताया कि जब जनता पार्टी की सरकार थी, तो राम जेठमलानी को मंत्री पद नहीं दिया गया, तो वह मोरारजी देसाई के पास गए। तब मोरारजी देसाई ने उनसे कहा था कि वह ड्रिंक करते हैं, इसलिए मंत्री नहीं बनाया गया।

इसके बाद जब जनता पार्टी की सरकार गिरी तब राम जेठमलानी ने उनके पास पहुंचकर कहा था कि चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम, जिन्होंने कभी शराब नहीं पी, उन्होंने ही आपकी सरकार गिरा दी। इस हल्के-फुल्के लहजे के माध्यम से उन्होंने यह संदेश भी दिया कि व्यक्तिगत आदतें और राजनीतिक फैसले, कानून और न्याय के क्षेत्र में कई बार अनजाने पूर्वाग्रह बन जाते हैं।

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'ईमानदारी ही वकालत की रीढ़'

कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल ने लॉ के छात्रों और युवा वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून एक प्रभावशाली लेकिन जिम्मेदार पेशा है। इसमें करियर बनाने वाले युवाओं को उचित नैतिकता, पारदर्शिता और ईमानदारी का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि "आपके क्लाइंट को बचाना आपकी जिम्मेदारी है, लेकिन वह सिर्फ ज्ञान से नहीं बल्कि ईमानदारी से ही संभव है।"

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