CG High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट (Bilaspur High Court) ने प्राइवेट स्कूलों को निजी प्रकाशकों (Private Publishers) की किताबें चलाने के लिए सशर्त अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्कूलों को सीबीएसई द्वारा जारी 12 अगस्त 2024 की अधिसूचना (CBSE Notification) के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। यदि स्कूल इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, तो राज्य सरकार (State Government) को कार्रवाई करने का अधिकार मिलेगा। यह निर्णय छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों (Private Schools in Chhattisgarh) के लिए अहम साबित हो सकता है, क्योंकि इसे लेकर लंबे समय से विवाद था।
सीबीएसई के दिशा-निर्देशों के अनुसार किताबों की खरीदारी होगी
प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन को अब यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे केवल उन किताबों का ही इस्तेमाल करें, जो सीबीएसई द्वारा निर्धारित हैं। कोर्ट ने यह निर्णय याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ निजी स्कूल प्रबंधन संघ (Chhattisgarh Private School Association) की रिट याचिका पर दिया, जो राज्य शिक्षा विभाग के आदेश को चुनौती दे रहे थे। राज्य सरकार ने पहले आदेश जारी किया था कि स्कूलों को केवल एनसीईआरटी (NCERT) या एससीईआरटी (SCERT) के प्रकाशित पाठ्यक्रम ही उपयोग करने होंगे।
राजीव गुप्ता की याचिका और शिक्षा विभाग के आदेश पर विवाद
याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बताया कि राज्य शासन (State Government) द्वारा जारी 25 जून 2025 के आदेश को मनमाना और अवैध बताया था। यह आदेश जिलों के शिक्षा अधिकारियों द्वारा जारी किया गया था, जिसमें प्राइवेट स्कूलों को केवल एनसीईआरटी या एससीईआरटी की किताबें उपयोग करने की हिदायत दी गई थी। यदि स्कूल इसके विपरीत कोई किताब इस्तेमाल करते थे, तो उनकी मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी गई थी।
कोर्ट ने राज्य शासन को दी कार्रवाई की छूट
हाई कोर्ट (CG High Court) ने अपने फैसले में यह साफ किया कि यदि किसी स्कूल ने सीबीएसई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया, तो राज्य शासन को उस पर कार्रवाई करने का अधिकार होगा। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि संबंधित शिक्षा अधिकारियों को यह अधिकार है कि वे स्कूलों पर नजर रखें और अगर वे सीबीएसई द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम से बाहर की सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, तो उन पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाए।
प्राइवेट स्कूलों को दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य
कोर्ट (CG High Court) ने यह आदेश भी दिया कि सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी वेबसाइट (School Website) पर कक्षाओं के लिए निर्धारित किताबों की सूची प्रकाशित करनी होगी। इसके साथ ही, स्कूल के प्रबंधक और प्रधानाचार्य (Principal) को यह लिखित घोषणा करनी होगी कि उन्होंने स्कूल द्वारा निर्धारित किताबों की विषय-वस्तु का अध्ययन किया है और इसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे। यदि कोई स्कूल आपत्तिजनक सामग्री (Objectionable Content) वाली किताबों का इस्तेमाल करता है, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से उस स्कूल की होगी, और उसके खिलाफ सीबीएसई (CBSE) कार्रवाई करेगा।
सशर्त छूट से स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार की संभावना
इस फैसले से यह उम्मीद जताई जा रही है कि प्राइवेट स्कूल अब अपनी पाठ्यक्रम की सामग्री को बेहतर तरीके से चुन सकेंगे, बशर्ते वे सीबीएसई द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करें। इससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) प्राप्त होगी, क्योंकि निजी प्रकाशकों (Private Publishers) के किताबों में अधिक विविधता हो सकती है, लेकिन इन किताबों का चयन कानून के दायरे में होना चाहिए।
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शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के बीच विवादों का अंत?
यह आदेश राज्य शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों (Private Schools) के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को खत्म करने की दिशा में एक कदम साबित हो सकता है। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि निजी स्कूलों को सीबीएसई द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार को यह अधिकार मिला है कि वह किसी भी उल्लंघन पर कार्रवाई करें।
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