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CG HighCourt on RTE Admision:DPS, DAV और शंकराचार्य से निष्कासित बच्चों को फिर मिलेगा पढ़ने का अधिकार, हाईकोर्ट का फैसला

CG High Court on RTE Admision: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने DPS, DAV और शंकराचार्य स्कूल से RTE के तहत निष्कासित 74 छात्रों को राहत दी है। कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार मानते हुए सभी बच्चों को दोबारा एडमिशन देने का आदेश दिया है।

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Shashank Kumar
CG High Court on RTE Admision

CG High Court on RTE Admision

CG High Court on RTE Admision: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right to Education - RTE) के तहत बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) की डिवीजन बेंच ने डीपीएस रिसाली (DPS Risali), डीएवी हुडको (DAV Hudco), माइलस्टोन और शंकराचार्य स्कूल सेक्टर-10 (Shankaracharya School) से निष्कासित किए गए 74 बच्चों को फिर से एडमिशन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा (education) संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार (fundamental right) है और इससे किसी भी परिस्थिति में वंचित नहीं किया जा सकता।

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डीईओ के आदेश को किया गया रद्द, हाईकोर्ट का सख्त रुख

[caption id="attachment_856951" align="alignnone" width="1101"]CG High Court on RTE Admision CG High Court on RTE Admision[/caption]

यह आदेश दुर्ग के जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer - DEO Durg) द्वारा 3 जुलाई 2025 को जारी उस आदेश के खिलाफ आया है, जिसमें इन प्रतिष्ठित स्कूलों से RTE के तहत नामांकित विद्यार्थियों को निष्कासित करने को कहा गया था। इस फैसले से पालकों में भारी नाराजगी थी और बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया था। हाईकोर्ट ने इस आदेश को अस्थायी रूप से निरस्त कर दिया है और स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे सभी 74 बच्चों को तत्काल शिक्षा देना प्रारंभ करें।

MP विजय बघेल की पहल

मामले में रायपुर सांसद विजय बघेल (MP Vijay Baghel) की पहल निर्णायक रही, जिन्होंने बच्चों के भविष्य को लेकर तत्परता दिखाई। पालकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता टीके झा (Advocate TK Jha) और अधिवक्ता सौरभ चौबे (Saurabh Chaubey) के नेतृत्व में एक विशेष कानूनी टीम ने हाईकोर्ट में इस निर्णय के विरुद्ध जोरदार पैरवी की।

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हाईकोर्ट ने कहा- शिक्षा का अधिकार नहीं छीना जा सकता

कोर्ट ने कहा कि Article 21A के तहत शिक्षा सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है, और किसी भी परिस्थिति में उनसे यह अधिकार नहीं छीना जा सकता। अदालत ने कहा कि शिक्षा केवल सरकारी नीति नहीं, बल्कि एक संवैधानिक जिम्मेदारी है और स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर बच्चे को बराबरी से पढ़ने का अवसर मिले।

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स्कूलों को तत्काल पालन का निर्देश

इस निर्णय के बाद 74 बच्चों और उनके परिवारों में राहत और खुशी की लहर है। अब बच्चे फिर से डीपीएस, डीएवी और शंकराचार्य स्कूल जैसे संस्थानों में पढ़ाई कर पाएंगे। कोर्ट के फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया कि RTE कानून केवल कागजों पर नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य की वास्तविक ढाल है।

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