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CG News:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सीमांकन विवाद मामलों में अब होगी कमिश्नर की नियुक्ति, निचली अदालत का आदेश रद्द

CG High Court News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जमीन सीमांकन विवादों पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में कमिश्नर की नियुक्ति अनिवार्य है।

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Shashank Kumar
CG High Court News

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हाइलाइट्स 

  • सीमांकन विवादों में कमिश्नर अनिवार्य

  • निचली अदालत का आदेश रद्द

  • गनियारी गांव के भाइयों को राहत

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CG High Court News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने जमीन विवादों से जुड़े सीमांकन (Land Demarcation Disputes) मामलों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के मामलों में कमिश्नर (Commissioner Appointment) की नियुक्ति अनिवार्य है।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Guidelines) के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बिना सीमांकन कराए जमीन विवाद का निपटारा न्यायोचित नहीं हो सकता। निचली अदालत (Lower Court) के फैसले को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की जमीन का सीमांकन कराने के लिए कमिश्नर की नियुक्ति की जाए।

गांव में अतिक्रमण से शुरू हुआ विवाद

[caption id="attachment_891388" align="alignnone" width="1112"]CG High Court News छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट[/caption]

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मामला बिलासपुर जिले के तखतपुर गनियारी गांव का है। यहां के दो नाबालिग भाइयों, लोकेश कुमार और हेमंत कुमार (Petitioners) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि गांव के ही गौतम प्रसाद, जनक राम और सुरेश साहू समेत अन्य लोगों ने उनकी जमीन पर अतिक्रमण (Encroachment Case) कर मकान और आंगन का निर्माण शुरू कर दिया।

भाइयों का कहना था कि उनकी स्वामित्व वाली जमीन का सीमांकन स्पष्ट नहीं होने की वजह से विवाद गहराता चला गया। उन्होंने निचली अदालत में आवेदन कर सीपीसी (CPC Order 26 Rule 9) के तहत स्थानीय आयुक्त की नियुक्ति की मांग की थी।

निचली अदालत ने खारिज की थी याचिका

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने अदालत से अतिक्रमणकारियों को बेदखली (Eviction Demand) करने की भी अपील की थी। लेकिन निचली अदालत ने बिना किसी ठोस कारण बताए उनकी याचिका खारिज कर दी। इस फैसले को चुनौती देते हुए दोनों भाइयों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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हाईकोर्ट ने दिया स्पष्ट निर्देश

हाईकोर्ट (CG High Court) ने सुनवाई के दौरान माना कि सीमांकन विवाद (Demarcation Dispute) का समाधान बिना जमीन का सही नाप-जोख (Land Measurement) किए नहीं हो सकता। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि स्थानीय कमिश्नर की नियुक्ति कर सीमांकन कराना आवश्यक है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द करते हुए याचिकाकर्ताओं की जमीन पर कमिश्नर नियुक्त कर सीमांकन कराने का निर्देश दिया है।

सीमांकन विवादों में क्यों बढ़ रही दिक्कतें?

छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में सीमांकन विवाद (Property Boundary Disputes) सबसे आम जमीन विवादों में शामिल हैं। अक्सर ऐसे मामलों में कागजों में जमीन की सीमा अलग होती है और जमीनी हकीकत अलग। यही वजह है कि अतिक्रमण, पड़ोसी विवाद और बेदखली के मामले बार-बार सामने आते हैं।

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कानूनी जानकारों का कहना है कि सीमांकन विवादों को सुलझाने के लिए रेवेन्यू रिकॉर्ड (Revenue Records) और स्थानीय सर्वे रिपोर्ट पर भरोसा करना पड़ता है। ऐसे में अदालतों द्वारा कमिश्नर की नियुक्ति करवाना पीड़ित पक्ष के लिए राहत का बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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