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CG High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जबरन मतांतरण रोकने वाले होर्डिंग्स असंवैधानिक नहीं, याचिका खारिज

CG High Court ; छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले में धर्मांतरण रोकने वाले होर्डिंग्स को सही ठहराते हुए याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा- जबरन मतांतरण रोकना असंवैधानिक नहीं।

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Shashank Kumar
CG High Court Religious Conversion

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हाइलाइट्स 

  • सीजी हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज
  • जबरन मतांतरण रोकना संवैधानिक: HC
  • ग्राम सभाओं के कदम को समर्थन
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CG High Court : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले के कई गांवों में लगाए गए ‘धर्मांतरण रोकने वाले होर्डिंग्स’ को लेकर दायर याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि जबरन या प्रलोभन देकर किए जा रहे मतांतरण को रोकना गंभीर सामाजिक और संवैधानिक चिंता का विषय है। इसलिए ऐसे होर्डिंग्स को असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने इस मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ग्राम सभाओं ने अपनी सांस्कृतिक विरासत और जनजातीय पहचान की रक्षा के लिए यह कदम उठाया है, जो संविधान की भावना के अनुरूप है।

[caption id="attachment_891388" align="alignnone" width="1107"]CG High Court News छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट[/caption]

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कांकेर के 12 गांवों में लगे हैं विरोध के बोर्ड

कांकेर जिले के कई गांवों जैसे कुदाल, परवी, बांसला, घोटा, घोटिया, मुसुरपुट्टा और सुलंगी में ग्राम सभाओं ने गांव की सीमाओं पर बोर्ड लगाए हैं। इन होर्डिंग्स में लिखा है कि गांव पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है और ग्राम सभा की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन या धार्मिक प्रचार नहीं कर सकता। ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम किसी धर्म के विरोध में नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की परंपराओं और संस्कृति की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।

ग्रामीण बोले- प्रलोभन देकर कराया जा रहा मतांतरण

ग्रामवासियों ने अदालत में स्पष्ट किया कि उनके गांवों में बाहरी लोग लालच, सहायता या गुमराह करके धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश करते हैं। इससे सामाजिक संतुलन और पुरखों की परंपरा पर असर पड़ रहा है। इसलिए ग्राम सभाओं ने सामूहिक निर्णय लेकर यह होर्डिंग्स लगाए ताकि ऐसे बाहरी प्रभावों से गांव की सांस्कृतिक एकता सुरक्षित रह सके।

[caption id="attachment_925287" align="alignnone" width="1109"]publive-image ये बोर्ड कांकेर जिले के ग्राम जुनवानी में लगाया गया है।[/caption]

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याचिकाकर्ता बोले- संविधान के अनुच्छेद 19 और 25 का उल्लंघन

कांकेर निवासी दिग्बल टोंडी और जगदलपुर निवासी नरेंद्र भवानी ने अलग-अलग याचिकाओं में कहा कि यह होर्डिंग्स संविधान के अनुच्छेद 19(1)(डी) (आवागमन की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि राज्य सरकार के 14 अगस्त 2025 को जारी ‘हमारी परंपरा, हमारी विरासत’ सर्कुलर से प्रेरित होकर यह कदम उठाया गया, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता बाधित हो रही है।

 सर्कुलर का गलत अर्थ निकाला गया- राज्य सरकार

राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाएं केवल आशंकाओं पर आधारित हैं। सरकार ने कहीं भी होर्डिंग लगाने या नफरत फैलाने का निर्देश नहीं दिया। सर्कुलर का उद्देश्य केवल अनुसूचित जनजातियों की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक सौहार्द की रक्षा करना है। सरकार ने अदालत को बताया कि बस्तर संभाग में धर्मांतरण को लेकर तनाव की घटनाएं सामने आई हैं, इसलिए ग्राम सभाएं सतर्क रुख अपना रही हैं।

जबरन मतांतरण रोकना सार्वजनिक व्यवस्था का हिस्सा

मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने कहा कि जबरन या गुमराह कर कराए जा रहे मतांतरण को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए होर्डिंग्स सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए जरूरी कदम हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता चाहे तो पेसा नियम 2022 के तहत ग्राम सभा या संबंधित अधिकारियों के पास जा सकते हैं।

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कोर्ट ने कहा- खतरा हो तो पुलिस से संपर्क करें

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति को गांव में प्रवेश को लेकर खतरा या भय महसूस हो, तो वह सीधे पुलिस या जिला प्रशासन से संपर्क कर सकता है। अदालत ने कहा कि संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता देता है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन समाज की शांति और सार्वजनिक हित के खिलाफ है।

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कांकेर और बस्तर क्षेत्र के ग्रामीणों में संतोष देखा जा रहा है। उनका कहना है कि अदालत ने उनकी भावना और सांस्कृतिक सुरक्षा को समझा है। यह निर्णय आदिवासी इलाकों में परंपरा, विश्वास और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

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