Gantantra Diwas 2025: गणतंत्र दिवस 2025 के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर आयोजित होने वाले भारत पर्व में इस बार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और रामनामी समुदाय की विशेष झलक दिखाई जाएगी।
इस बार छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ थीम पर आधारित होगी। इसमें राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया गया है।
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छत्तीसगढ़ की झांकी को राष्ट्रीय मीडिया द्वारा सराहा गया
आज दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला में आयोजित प्रेस प्रिव्यू के दौरान छत्तीसगढ़ की झांकी को राष्ट्रीय मीडिया द्वारा सराहा गया।
इस झांकी के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर में जीवन, प्रकृति और आध्यात्मिकता का गहरा संबंध है। झांकी छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं को प्रदर्शित करते हुए राज्य की अनूठी सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत कर रही है।
झांकी के सामने के हिस्से में रामनामी समुदाय को दर्शाया गया
झांकी के सामने के हिस्से में रामनामी समुदाय को दर्शाया गया है, जो निराकार राम की उपासना करते हैं। इसमें पुरुष और महिला के शरीर और कपड़ों पर ‘राम-राम’ शब्द अंकित है, और ये लोग रामचरितमानस का पाठ करते हुए दिखाए गए हैं।
तुरही वाद्य यंत्र और सल्फी वृक्ष को प्रमुख रूप से किया गया प्रदर्शित
झांकी में इसके पास भजन के लिए उपयोग होने वाले घुंघरुओं का प्रदर्शन भी किया गया है। बीच के हिस्से में आदिवासी संस्कृति के पारंपरिक पहनावे, आभूषण, कलाकृतियां और कला परंपराएं दिखाई गई हैं।
इस हिस्से में बस्तर की लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा तुरही वाद्य यंत्र और सल्फी वृक्ष को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया गया है। झांकी के पीछे मयूर का चित्रण किया गया है, जो लोक जीवन के सौंदर्य और जीवंतता का प्रतीक है।