हाइलाइट्स
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ब्रांडेड रेस्टोरेंट को विदेशी शराब लाइसेंस
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नई आबकारी नीति 2025 में बदलाव
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पर्यटन व राजस्व में वृद्धि का दावा
CG Excise Policy: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की नई आबकारी नीति (Excise Policy in Chhattisgarh) में बड़ा बदलाव करते हुए अब ब्रांडेड रेस्टोरेंट और बार को भोजन के साथ विदेशी शराब पिलाने का लाइसेंस देने की व्यवस्था कर दी है। इस बदलाव से राजधानी रायपुर समेत बड़े शहरों में आधुनिक रेस्टोरेंट कल्चर को बढ़ावा मिलेगा और सरकार को राजस्व (Revenue from Liquor License) के नए स्रोत भी मिलेंगे।
क्यों किया गया बदलाव ?
दरअसल, वाणिज्यिक कर विभाग ने ‘छत्तीसगढ़ विदेशी मदिरा नियम, 1996’ में संशोधन कर यह प्रावधान जोड़ा है। राज्य सरकार का मानना है कि जिस तरह देश के अन्य मेट्रो सिटी में ब्रांडेड रेस्टोरेंट्स (Branded Restaurants in India) विदेशी शराब के साथ भोजन परोसते हैं, उसी तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी यह सुविधा मिलेगी। इससे न केवल पर्यटन (Tourism Growth in Chhattisgarh) को बढ़ावा मिलेगा बल्कि राज्य की छवि को भी एक नई पहचान मिलेगी।
किन्हें मिलेगा लाइसेंस ?
नियम के मुताबिक, यह विशेष लाइसेंस (Special Liquor License) केवल उन्हीं रेस्टोरेंट या बार को मिलेगा जिनकी उपस्थिति कम से कम पांच राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में हो। यानी यह सुविधा केवल बड़े ब्रांड्स तक सीमित रहेगी। लाइसेंस मिलने के बाद ऐसे प्रतिष्ठान अपने ग्राहकों को भोजन या स्नैक्स के साथ विदेशी शराब (Foreign Liquor with Food) परोस सकेंगे।
अनिवार्य सुविधाएं और नियम
सरकार ने साफ किया है कि लाइसेंस लेने वाले प्रतिष्ठानों में उच्च स्तरीय सुविधाएं होना जरूरी है। इसमें अलग से बार रूम और स्टॉक रूम, 24 घंटे शुद्ध पानी की व्यवस्था, महिलाओं-पुरुषों के लिए अलग शौचालय, दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं और FSSAI (Food Safety License) का प्रमाणपत्र शामिल है। इसके अलावा, स्टाफ की संख्या भी पर्याप्त होनी चाहिए और परिसर में फोटोग्राफ सहित सभी विवरण विभाग को देने होंगे।
काली सूची और शर्तें
लाइसेंस केवल उन संस्थानों को मिलेगा जिनका नाम आबकारी विभाग की ब्लैकलिस्ट (Excise Blacklist) या बकायादारों की सूची में दर्ज नहीं है। साथ ही, यह शर्त भी रखी गई है कि आवेदक का संबंध देशी शराब या कंपोजिट अहाता कारोबार से नहीं होना चाहिए।
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पहले आओ, पहले पाओ का नियम
शॉपिंग मॉल या अन्य स्थानों में यदि एक से अधिक आवेदन आते हैं तो ‘पहले आओ, पहले पाओ (First Come First Serve)’ के आधार पर केवल एक-एक लाइसेंस स्वीकृत किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से राज्य के युवा और शहरी तबके को मेट्रो जैसा अनुभव मिलेगा। हालांकि, यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या इससे शराबखोरी (Alcohol Consumption) बढ़ेगी और सामाजिक प्रभाव गहरे होंगे। सरकार का दावा है कि लाइसेंस सिर्फ हाई-स्टैंडर्ड रेस्टोरेंट्स तक सीमित रहेगा जिससे अनुशासन और नियंत्रण बना रहेगा।