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Bijapur Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और तेलंगाना (Telangana) की सीमा से सटे बीजापुर (Bijapur) जिले के अन्नाराम और मरीमल्ला जंगलों में बुधवार को पुलिस और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ (Encounter) हुई। बताया जा रहा है कि यह एनकाउंटर सुबह शुरू हुआ और कई घंटों तक दोनों ओर से गोलीबारी चलती रही। मुठभेड़ में तीन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, हालांकि पुलिस ने अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
सूत्रों के मुताबिक, यह मुठभेड़ नक्सलियों की मद्देड एरिया कमेटी (Madded Area Committee) के सदस्यों से हुई है। जवानों ने जंगल में नक्सलियों को घेर लिया था और बड़ी संख्या में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है।
जवानों की बहादुरी से विफल हुआ नक्सल प्लान
सुरक्षाबलों (Security Forces) की टीम को नक्सलियों की गतिविधियों की जानकारी पहले से मिल गई थी, जिसके बाद डीआरजी (DRG), एसटीएफ (STF) और जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन (Search Operation) शुरू किया।
जंगल में घुसते ही नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन जवानों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उन्हें चारों तरफ से घेर लिया। बताया जा रहा है कि मारे गए नक्सलियों में दो महिला सदस्य भी शामिल हो सकती हैं। फोर्स की कार्रवाई के बाद जंगल से नक्सलियों का कैंप भी नष्ट कर दिया गया है। मौके से देशी बम, कारतूस, और हथियार बरामद हुए हैं।
बस्तर में नक्सलियों के खात्मे की बड़ी तैयारी
नक्सल विरोधी अभियान (Anti-Naxal Operation) को और मजबूत करने के लिए फोर्स अब मिशन मोड में है। बस्तर (Bastar) में नक्सलियों के प्रभाव वाले करीब 50 गांवों की पहचान की गई है, जहां सुरक्षाबल पूरी तरह से उनकी पकड़ खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
इस अभियान की शुरुआत बीजापुर जिले से की जा रही है। इसके लिए नारायणपुर (Narayanpur), बस्तर (Bastar), दंतेवाड़ा (Dantewada) और सुकमा (Sukma) जिलों से डीआरजी जवानों की 10 से ज्यादा टीमें बनाई गई हैं। सूत्रों का कहना है कि सभी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और उन्हें अगले आदेश तक ड्यूटी पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
अबूझमाड़ और करेंगुट्टा जैसे बड़े अभियानों की तर्ज पर ऑपरेशन
बीजापुर का यह ऑपरेशन (Operation Bijapur) अबूझमाड़ (Abujhmad) और करेंगुट्टा (Karengutta) जैसे पिछले बड़े अभियानों की तरह बड़े पैमाने पर चलाया जाएगा।
फोर्स का उद्देश्य नक्सल संगठन की जड़ों को पूरी तरह से समाप्त करना है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि लगातार हो रही मुठभेड़ों से नक्सलियों का मनोबल गिरा है और अब कई सक्रिय सदस्य आत्मसमर्पण करने पर विचार कर रहे हैं।
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