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CG Education Campaign 2025: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में "मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान" की औपचारिक शुरुआत की गई। इस अभियान का उद्देश्य न केवल परीक्षा परिणामों में सुधार लाना है, बल्कि बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना, ड्रॉप-आउट की दर घटाना और डिजिटल शिक्षा के माध्यम से भविष्य की नींव मजबूत करना भी है।
परीक्षा परिणाम सुधारने बनी कार्य योजनाएं
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य के सभी कलेक्टर्स अपने-अपने जिलों में 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणामों को बेहतर करने के लिए अलग-अलग कार्य योजनाएं बनाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल नंबरों की नहीं, बल्कि समग्र गुणवत्ता की बात होनी चाहिए। इस दिशा में रायगढ़ जिले की पहल की सराहना की गई, जहाँ मंथली टेस्ट और कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं के जरिए पढ़ाई को मज़बूती दी गई थी। वहीं, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में हॉस्टलों में एक्स्ट्रा क्लासेज और नियमित टेस्ट ने सकारात्मक असर डाला।
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CG Education Campaign 2025[/caption]
शाला विकास समितियों की भूमिका पर ज़ोर
राज्य में शिक्षा सुधार केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि सामुदायिक सहभागिता से संभव होगा। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में शाला विकास समितियों को सक्रिय करने और पालकों को सीधे तौर पर जोड़ने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति पर गंभीरता से काम हो और परिजनों से संवाद के माध्यम से उपस्थिति को बेहतर किया जाए। यह प्रयास न केवल ड्रॉपआउट कम करेगा, बल्कि स्कूल और समाज के बीच की दूरी को भी घटाएगा।
गोंडी भाषा में पढ़ाई से उपस्थिति में सुधार
बैठक में बीजापुर जिले की पहल को आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया। यहाँ 10वीं–12वीं पास स्थानीय युवाओं की मदद से कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को गोंडी भाषा में शिक्षा दी जा रही है। इस नवाचार से बच्चों की स्कूल में उपस्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई और ड्रॉप-आउट की समस्या काफी हद तक कम हुई। मुख्यमंत्री साय ने इस मॉडल को अन्य आदिवासी जिलों में भी लागू करने के संकेत दिए, ताकि भाषा की दीवार शिक्षा की राह में बाधा न बने।
31 दिसंबर तक सभी छात्रों की बनेगी APAR ID
शिक्षा को तकनीक से जोड़ने की दिशा में मुख्यमंत्री ने एक और बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी स्कूली बच्चों की 12 अंकों की APAR ID बनाई जाएगी, जिसकी समयसीमा 31 दिसंबर 2025 तय की गई। यह आईडी डिजिलॉकर से जुड़ी होगी और छात्रवृत्ति, गणवेश, किताबों के वितरण और शैक्षणिक प्रगति जैसे सभी पहलुओं को डिजिटल रूप से ट्रैक किया जा सकेगा। इसके माध्यम से पारदर्शिता और सुगमता, दोनों सुनिश्चित की जा सकेंगी।
शिक्षण सामग्री का हो वास्तविक उपयोग
मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को यह भी निर्देश दिया कि बच्चों के लिए उपलब्ध कराई गई शिक्षण सामग्री का समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह चिंता जताई कि कई जगहों पर किताबें और संसाधन सिर्फ अलमारियों में बंद रह जाते हैं। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों के साथ संवाद बढ़ाएं, पढ़ाई को रुचिकर बनाएं और सामग्री को कक्षा शिक्षण का अभिन्न हिस्सा बनाएं।
आधार आधारित उपस्थिति प्रणाली पर सख्ती
कॉन्फ्रेंस में शिक्षकों की उपस्थिति और कार्य प्रदर्शन को लेकर भी बड़ा फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री ने आधार-बेस्ड अटेंडेंस मॉनिटरिंग सिस्टम को पूरी सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए। जो शिक्षक समय का पालन नहीं करेंगे या उपस्थिति में गड़बड़ी पाए जाएंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, जो शिक्षक उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं, उन्हें सम्मानित कर प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि एक सकारात्मक और प्रतिस्पर्धी वातावरण तैयार हो।
बाल वाटिकाओं को पुनः सक्रिय करने के निर्देश
शिक्षा की शुरुआत की मजबूत नींव रखने के लिए मुख्यमंत्री ने बाल वाटिकाओं को सक्रिय करने के निर्देश भी दिए। महिला एवं बाल विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के समन्वय से प्रदेश में बंद या निष्क्रिय बाल वाटिकाओं को दोबारा शुरू किया जाएगा, ताकि छोटे बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को सशक्त बनाया जा सके।
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दंतेवाड़ा की उपलब्धि बनी प्रेरणा
बैठक में यह भी बताया गया कि दंतेवाड़ा जिले में दसवीं बोर्ड परीक्षा में 9.32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो जिला प्रशासन और शिक्षकों के बेहतर समन्वय और मेहनत का परिणाम है। यह सफलता पूरे राज्य के लिए एक प्रेरणा है कि सकारात्मक बदलाव संभव है, बस इच्छाशक्ति और सतत प्रयासों की जरूरत है।
सहभागिता से बदलेगी छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की स्पष्ट मंशा है कि छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में एक नया उदाहरण बनाना है। "मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान" के माध्यम से राज्य में न केवल शिक्षण पद्धति बदलेगी, बल्कि समाज की भागीदारी, तकनीक का समावेश और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप नवाचार भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
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