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CG E-Cadre Principal Promotion
CG E-Cadre Principal Promotion : छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग के ई-संवर्ग शिक्षकों के लिए लंबे इंतज़ार के बाद खुशखबरी सामने आई है। हाईकोर्ट में पदोन्नति प्रक्रिया से जुड़ी अड़चनों के खत्म होने के बाद अब 1400+ पदोन्नत प्राचार्यों की काउंसलिंग 17 नवंबर से शुरू की जा रही है। डीपीआई कार्यालय ने इसे लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं और यह माना जा रहा है कि सात से दस दिनों के भीतर पोस्टिंग आदेश भी जारी कर दिया जाएगा।
प्रक्रिया पूर्ण होने के बावजूद अटकी फाइल
ई-संवर्ग के प्राचार्य पदों की विभागीय प्रक्रिया 30 अप्रैल को पूरी हो चुकी थी, लेकिन न्यायालयीन स्थिति के कारण इनके पोस्टिंग आदेश रुक गए। दूसरी ओर, टी-संवर्ग के 1312 प्राचार्यों की पोस्टिंग 29 अगस्त को हो चुकी है, जबकि उसी नियम के तहत ई-संवर्ग के 1478 प्राचार्य अभी भी पोस्टिंग का इंतज़ार कर रहे हैं।
शिक्षाकर्मियों एवं एलबी संवर्ग को प्राचार्य पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल करने को लेकर संघर्ष कई सालों तक अदालतों और विभागीय स्तर पर जारी रहा। इस मामले को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मजबूती से रखा गया। अंततः यह स्पष्ट हुआ कि ई-संवर्ग को बाहर रखकर प्राचार्य पदोन्नति की प्रक्रिया पूर्ण नहीं मानी जा सकती।
नई सरकार के बाद प्रक्रिया को मिली रफ्तार
राज्य में नई सरकार के गठन के बाद यह विषय महत्वपूर्ण प्राथमिकता पर लिया गया। मुख्यमंत्री, तत्कालीन शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी और संचालक दिव्या मिश्रा से लगातार चर्चा के बाद डीपीएसी, सीनियरिटी लिस्ट और डेटा वेरिफिकेशन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी। अब पूरी फाइल अंतिम चरण में है और काउंसलिंग तय कर दी गई है।
काउंसलिंग प्रक्रिया में ई-संवर्ग को बेहतर स्कूल विकल्प मिलने की कोशिश की जा रही है। इस प्रक्रिया में 2:1:1 रेशियो लागू होगा, जिसकी पैरवी छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने लगातार की है।
126 प्राचार्यों ने पोस्टिंग से पहले ही सेवानिवृत्ति
सबसे चिंताजनक बात यह है कि 30 अप्रैल को पदोन्नत हुए 126 प्राचार्य बिना कार्यभार संभाले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि इस महीने लगभग 24 और प्राचार्यों के रिटायर होने की संभावना है। यह स्थिति सिस्टम की देरी और प्रक्रिया के असंतुलन को उजागर करती है।
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80% हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी बिना नियमित प्राचार्य के
पिछले लगभग एक दशक से राज्य में हजारों स्कूल बिना नियमित प्राचार्य के संचालन के लिए मजबूर हैं। इससे शैक्षणिक योजनाओं, बोर्ड परीक्षा तैयारी, निरीक्षण और मॉनिटरिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अब प्राचार्य नियुक्ति से शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार संभव माना जा रहा है।
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