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दुर्ग रेलवे स्टेशन धर्मांतरण केस: आदिवासी युवतियों ने राज्यपाल को लिखा पत्र, महिला आयोग की 3 सदस्याओं को हटाने की मांंग

Durg Conversion Case: दुर्ग रेलवे स्टेशन धर्मांतरण केस, आदिवासी युवतियों ने राज्यपाल को लिखा पत्र, महिला आयोग की 3 सदस्याओं को हटाने की मांंग

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Harsh Verma
Durg Conversion Case

Durg Conversion Case: छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन धर्मांतरण मामले में नया मोड़ सामने आया है। इस केस से जुड़ी आदिवासी युवतियों ने राज्यपाल (Governor) को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। युवतियों ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की तीन सदस्याओं दीपिका शोरी, लक्ष्मी वर्मा और सरला कोसरीया पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है।

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सुनवाई के दौरान धार्मिक सवाल और धमकी का आरोप

[caption id="" align="alignnone" width="585"]publive-image युवतियों का कहना है कि आयोग में सुनवाई के दौरान उनसे धार्मिक सवाल पूछे गए[/caption]

युवतियों का कहना है कि आयोग में सुनवाई के दौरान उनसे धार्मिक सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि क्या वे ईसाई धर्म (Christian Religion) मानती हैं और मंदिर (Temple) जाती हैं। जब उन्होंने ‘हां’ कहा, तो सदस्याओं ने कहा कि मस्जिद (Mosque) क्यों नहीं जातीं।

युवतियों ने आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार झूठा साबित करने की कोशिश की गई और धमकी दी गई कि “दूसरे कमरे में ले जाकर पूछूंगी तो सब सच बोल दोगे।”

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आयोग की अध्यक्ष सक्रिय, सदस्याओं पर पक्षपात का आरोप

पीड़ित युवतियों ने लिखा कि आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक (Kiranmayi Nayak) न्याय दिलाने के लिए गंभीर हैं, लेकिन तीनों सदस्याएं अभियुक्तों का पक्ष लेकर निष्क्रिय व्यवहार कर रही हैं।

पत्र में कहा गया कि अध्यक्ष ने हमारी बातों को गंभीरता से सुना, जबकि अन्य सदस्याओं ने बयान बदलवाने और अपमानित करने की कोशिश की।

[caption id="" align="alignnone" width="588"]publive-image दुर्ग में दो ननों की हुई थी गिरफ़्तारी[/caption]

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FIR दर्ज नहीं, पुलिस पर भी सवाल

युवतियों ने बताया कि पहले उन्होंने अनुसूचित जनजाति थाना (ST Police Station) नारायणपुर (Narayanpur) में शिकायत दी थी, लेकिन न तो FIR दर्ज हुई और न ही उसकी पावती मिली। यहां तक कि पुलिस अधीक्षक (SP) को आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

तीन सदस्याओं को हटाने और निष्पक्ष जांच की मांग

युवतियों ने राज्यपाल से मांग की है कि सुनवाई निष्पक्ष हो और दीपिका शोरी, लक्ष्मी वर्मा और सरला कोसरीया को आयोग से हटाया जाए। अगर ऐसा नहीं होता, तो इन सदस्याओं के खिलाफ जांच कराई जाए।

अध्यक्ष ने डीजीपी को भेजा पत्र

[caption id="" align="alignnone" width="609"]publive-image महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक[/caption]

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महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने डीजीपी (DGP) को पत्र भेजकर मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर जांच का आदेश देने को कहा है।

उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिन में कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरा मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) को भेज दिया जाएगा। आयोग ने डीआरएम रेलवे और एसपी दुर्ग के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है।

सदस्यों ने अध्यक्ष पर लगाया मनमानी और अनियमितता का आरोप

[caption id="" align="alignnone" width="626"]publive-image आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका सोरी[/caption]

छत्तीसगढ़ महिला आयोग में भी आंतरिक विवाद खुलकर सामने आ गया है। आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका सोरी ने प्रेसवार्ता कर आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक और सचिव अभय सोनवानी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं।

तीनों सदस्यों ने कहा कि आयोग में कार्य प्रणाली पूरी तरह नियम विरुद्ध है, जहां निर्णय लेने में अन्य सदस्यों की भूमिका को दरकिनार कर सिर्फ अध्यक्ष अकेले निर्णय लेती हैं।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि सुनवाई में न तो उन्हें शामिल किया जाता है, न ही सूचित किया जाता है। यहां तक कि सुनवाई के दौरान अनधिकृत व्यक्तियों की उपस्थिति रहती है, जिसमें अध्यक्ष के पति और कुछ वकील भी शामिल होते हैं।

लक्ष्मी वर्मा ने कहा कि कई बार मौखिक रूप से आपत्ति जताने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। वहीं, सरला कोसरिया ने आरोप लगाया कि सचिव आय-व्यय की जानकारी देने से बचते हैं और अध्यक्ष अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं।

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

यह मामला 25 जुलाई का है, जब दुर्ग रेलवे स्टेशन पर मिशनरी सिस्टर्स (Missionary Sisters) और एक युवक तीन लड़कियों के साथ पकड़े गए थे। बजरंग दल (Bajrang Dal) के कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोककर धर्मांतरण और मानव तस्करी (Human Trafficking) का आरोप लगाया था।

हंगामे के बाद दो ननों प्रीति मैरी (Preeti Mary) और वंदना फ्रांसिस (Vandana Francis) के खिलाफ FIR दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में ईसाई संगठनों (Christian Organizations) ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किए, जबकि सांसद डेरेक ओ’ब्रायन (Derek O’Brien) ने संसद (Parliament) में इसे “ईसाई समुदाय पर हमला” बताया।

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