रिपोर्ट: रॉबिन ठाकुर, दुर्ग
Durg Hospital Changed Childrens: छत्तीसगढ़ दुर्ग से बड़ा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां जिला अस्पताल में नवजात की अदला-बदली हो गई और परिजनों को पता ही नहीं चला। 8 दिन के बाद जब इस बात का पता चला तो हड़कंप मच गया। परिजन भी इस बात से हैरान हैं।
जिला अस्पताल की लापरवाही के चलते 8 दिन बाद जब परिजनों को पता चला तो अस्पताल प्रबंधन (Durg Hospital Changed Childrens) से इसकी शिकायत की। शिकायत के साथ ही अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि उस दिन सिंह और कुरैशी परिवार में खुशियां आई थी। दोनों ही परिवार के बच्चे बदले हैं।
मेटरनिटी वार्ड में स्टाफक की चूक पड़ी भारी
दुर्ग जिला अस्पताल (Durg Hospital Changed Childrens) में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिससे दो परिवारों में हड़कंप मच गया। अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में स्टाफ की चूक के कारण दो नवजात शिशु आपस में बदल गए। यह गंभीर मामला डिलीवरी के आठ दिन बाद तब सामने आया, जब एक परिवार को संदेह हुआ और उन्होंने शिशु के जन्म के समय की तस्वीरें जांची। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि उनके साथ अस्पताल में भारी लापरवाही हुई है।
आठ दिन बाद परिवार को हुआ संदेह
दरअसल मामला सिंह और कुरैशी परिवार से जुड़ा हुआ है। दोनों परिवारों की महिलाओं ने लगभग एक ही समय पर अस्पताल (Durg Hospital Changed Childrens) में शिशु को जन्म दिया था। अस्पताल के स्टाफ ने लापरवाही बरतते हुए नवजात बच्चों को गलत परिवारों को सौंप दिया। शुरुआत में किसी को इस अदला-बदली की भनक नहीं लगी, लेकिन आठ दिन बाद जब कुरैशी परिवार को संदेह हुआ, तब उन्होंने बच्चे की जन्म के समय की तस्वीरों को जांचना शुरू किया। जन्म के समय की तस्वीरों में बच्चा अलग दिखने पर परिवारों ने अस्पताल प्रशासन से शिकायत की और डीएनए टेस्ट कराने की मांग की।
सिंह परिवार ने बच्चे की अदला-बदली से किया मना
जांच के दौरान पता चला कि अस्पताल (Durg Hospital Changed Childrens) के स्टाफ ने गलती से दोनों बच्चों को गलत माता-पिता को सौंप दिया था। जब इस मामले का खुलासा हुआ, तो सिंह परिवार ने बच्चे की अदला-बदली से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि आठ दिन में ही उन्होंने बच्चे से गहरा भावनात्मक लगाव बना लिया है और अब वे किसी भी कीमत पर बच्चे को वापस नहीं करेंगे। वहीं, कुरैशी परिवार अपने असली बच्चे को वापस लेने के लिए अड़ा हुआ है।
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अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल
इस लापरवाही के सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन (Durg Hospital Changed Childrens) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब सरकारी अस्पतालों में ऐसी लापरवाही सामने आई हो। नवजात शिशुओं की सही पहचान के लिए कई अस्पतालों में आईडी टैग या पहचान चिह्न का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस मामले में स्टाफ की लापरवाही के चलते यह प्रक्रिया ठीक से लागू नहीं की गई। वहीं बच्चे के मामा अमीर खान ने बताया कि 23 जनवरी को शबाना कुरैशी (पति अल्ताफ कुरैशी) और साधना सिंह ने दोपहर क्रमशः 1:25 बजे और 1:32 बजे बेटों को जन्म दिया। अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के तुरंत बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया जाता है, जिससे किसी तरह की अदला-बदली न हो। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद अपनी-अपनी माताओं के साथ तस्वीरें भी खींची गईं।
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