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धमतरी के नगरी में भाजपा को बड़ा झटका: टिकट विवाद पर उग्र हुए कार्यकर्ता, तोड़फोड़ के बाद 7 नेता पार्टी से निष्कासित

Dhamtari News: धमतरी के नगरी में भाजपा को बड़ा झटका, टिकट विवाद पर उग्र हुए कार्यकर्ता, तोड़फोड़ के बाद 7 नेता पार्टी से निष्कासित

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Harsh Verma
धमतरी के नगरी में भाजपा को बड़ा झटका: टिकट विवाद पर उग्र हुए कार्यकर्ता, तोड़फोड़ के बाद 7 नेता पार्टी से निष्कासित

Dhamtari News: धमतरी जिले के नगरी (Nagri) नगर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उस समय बड़ा झटका लगा, जब 30 जनवरी को हुए निकाय चुनाव के बाद पार्टी के भीतर उबाल खा रही नाराज़गी सड़कों पर उतर आई।

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टिकट वितरण को लेकर असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय में प्रदर्शन किया, जो देखते ही देखते हिंसक हो गया।

भाजपा कार्यालय में बवाल, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं

चुनाव परिणाम के बाद नगरी स्थित भाजपा कार्यालय में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर तोड़फोड़ (Vandalism) और आगजनी (Arson) की घटनाओं को अंजाम दिया, जिससे पार्टी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा।

इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा नेतृत्व ने गंभीरता से लिया और तत्काल कार्रवाई करते हुए 7 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

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अनुशासनहीनता पर कठोर कार्रवाई, 7 नेता बाहर

भाजपा की ओर से जिन नेताओं को निष्कासित किया गया है, उनमें प्रमुख नाम भाजपा युवा मोर्चा (BJP Yuva Morcha) के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य निखिल साहू (Nikhil Sahu) का है। इनके अलावा शैलेंद्र धेनुसेवक (Shailendra Dhenusevak), भोला शर्मा (Bhola Sharma), गज्जू शर्मा (Gajju Sharma), रवेंद्र साहू (Ravendra Sahu), संत कोठारी (Sant Kothari) और सुनील निर्मलकर (Sunil Nirmalkar) के नाम शामिल हैं।

पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, पहले सभी को चेतावनी दी गई थी, लेकिन बावजूद इसके जब अनुशासनहीनता नहीं रुकी, तो संगठन ने यह कठोर निर्णय लिया।

टिकट बंटवारे को लेकर लगातार गहराता असंतोष

नगरी में जो घटनाएं हुईं, वे भाजपा के भीतर टिकट वितरण (Ticket Distribution) को लेकर चल रही खींचतान और नाराज़गी को उजागर करती हैं।

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यह मामला दिखाता है कि जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और पारदर्शिता की कमी किस तरह पार्टी के लिए संकट का कारण बन सकती है। हालांकि भाजपा ने इसे एक आंतरिक मामला बताते हुए फिलहाल अनुशासन बहाल करने पर ज़ोर दिया है।

पार्टी ने दिया स्पष्ट संदेश- अनुशासन सर्वोपरि

भाजपा की इस कार्रवाई को पार्टी के भीतर अनुशासन स्थापित करने के तौर पर देखा जा रहा है। संगठन ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुशासनहीनता (Indiscipline) को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह कोई भी पदाधिकारी हो। इस घटनाक्रम ने पार्टी को आत्ममंथन करने पर भी मजबूर किया है।

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