KORBA: भारतीय रेलवे बोर्ड INDIAN RAILWAY BOARD ने अपने एक तुगलकी फरमान से देश के नॉन पावर सेक्टर को होने वाले कोयले की आपूर्ति को पूरी तरह से ठप्प कर दिया है। ऐसा तब हुआ है जबकि देश में कोयला उत्पादन के आंकड़ों में सुधार हो रहा है। अब सवाल यह है कि सीपीपी आधारित उद्योगों से जुड़े मानव संसाधन, उनसे जुड़े परिवारों और पूरी अर्थव्यवस्था का क्या होगा ? देश ऊर्जा उत्पादन की बुनियादी जरूरतों से ही जूझ रहा है तो फिर आखिर किस भरोसे पर उद्योगों में निवेश करने वाले लोग आगे आएंगे? उद्योगों के सामने ऐसी चुनौती आखिर कैसे खड़ी हो गई?
आखिर हुआ क्या है CG NEWS
छत्तीसगढ़ राज्य के स्तर पर बात की जाए तो, प्रदेश के सीपीपी और नागरिकों के हितों की अनदेखी कर कोयले की आपूर्ति में लगातार कटौती जारी है। एसईसीएल छत्तीसगढ़ में सीपीपी आधारित उद्योगों के उपभोक्ताओं को मंथली शेड्यूल्ड क्वांटिटी (एमएसक्यू) के मात्र 75 फीसदी कोयले का ऑर्डर बुक करने की सुविधा दे रहा था जबकि जमीनी सच्चाई यह थी कि उपभोक्ता एमएसक्यू का 75 फीसदी कोयला भी नहीं ले पा रहे थे। अब 31 अगस्त, 2022 को भारतीय रेलवे बोर्ड ने कोल इंडिया को एक पत्र लिखा है जिसका मजमून यह है कि रेल मोड से नॉन पावर सेक्टर को पूरी तरह से कोयला ठप्प कर दिया जाए ताकि पावर सेक्टर को मानसून के मौसम में भी कोयले की निरंतर आपूर्ति जारी रह सके। इसका दुष्प्रभाव यह है कि छत्तीसगढ़ के सीपीपी आधारित उद्योग अब तालाबंदी की स्थिति में पहुंच गए हैं। जो सीपीपी फिलहाल उत्पादन में हैं उनके पास काफी कम दिन का कोयला बचा रह गया है।
नॉन पावर सेक्टर का ये हाल CG Coal Crisis
प्रदेश के नॉन पावर सेक्टर को बचाने की दिशा में प्रदेश सरकार के स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं हुई। यदि तत्काल इस मुद्दे को नहीं सुलझाया गया तो राज्य में औद्योगिक अशांति की स्थितियां निर्मित होने की आशंका है। उद्योगों में कोयले के अभाव में तालाबंदी से हजारों नागरिकों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा। देश में बेरोजगारी के आंकड़े में इससे वृद्धि ही होगी।
ये होगा प्रभाव RAIPUR
देश का नॉन पावर सेक्टर संकट के एक ऐसे भंवर में फंस गया है जिसकी परिणति आर्थिक अराजकता ही हो सकती है। केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ का नारा नीतिगत पक्षाघात का शिकार होता दिख रहा है। कोरोना से आई मंदी के कारण वैश्विक दबावों को झेल रहे उद्योग अब केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता से कुचले जा रहा है। रेलवे बोर्ड के फरमान से सीपीपी आधारित उद्योग कोयले की आपूर्ति को बाधित किए जाने को लेकर परेशान हैं।
लगातार विरोध जारी
छत्तीसगढ़ CHATTISGARH राज्य के सीपीपी आधारित उद्योग, अनेक श्रमिक यूनियन और औद्योगिक संघ पहले ही कोल इंडिया की नीतियों के खिलाफ लामबंद हैं। समस्या की ओर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार का लगातार ध्यान आकृष्ट किया जा रहा है। भारतीय रेल के गैर जिम्मेदाराना रवैया छत्तीसगढ़ के हजारों कागमारों के हितों तथा राजस्व पर विपरीत असर डालने वाला साबित होगा। छत्तीसगढ़ में आज जरूरत इस बात की है कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के सीपीपी आधारित उद्योगों को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चत करें।