Chhattisgarh Chitfund Fraud Case: छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। बालोद थाना (Balod Police Station) और साइबर सेल (Cyber Cell) की संयुक्त टीम ने करोड़ों रुपये की ठगी कर 9 साल से फरार चल रहे चिटफंड कंपनी (Chitfund Company) के डायरेक्टर काली प्रसाद मिश्रा (Kali Prasad Mishra) को ओडिशा (Odisha) के भुवनेश्वर (Bhubaneswar) से गिरफ्तार कर लिया।
ठगी कैसे की गई थी
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने माइक्रोलिजिंग एंड फंडिंग लिमिटेड (Micro Leasing and Funding Ltd.) और माइक्रोफाइनेंस कंपनी (Micro Finance Company) के नाम से कारोबार किया। उसने अधिक ब्याज और प्रॉफिट का लालच देकर जिले के सैकड़ों निवेशकों से करोड़ों रुपये इकट्ठा किए।
साल 2016 में इस मामले में थाना बालोद में अपराध क्रमांक 609/2016 दर्ज किया गया था। आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420, 34, 467, 468, 471, 406 और चिटफंड व धन परिचालन स्कीम पाबंदी अधिनियम समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ था।
पुलिस की खास रणनीति
पुलिस अधीक्षक के आदेश पर इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोनिका ठाकुर (Monika Thakur) और डीएसपी देवांश सिंह राठौर (Devansh Singh Rathore) के पर्यवेक्षण में एक विशेष टीम गठित की गई थी।
टीम ने आरोपी की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए तकनीकी डेटा, मुखबिरों और स्थानीय पुलिस का सहारा लिया। कई दिनों तक भुवनेश्वर में कैंप कर छापेमारी के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
फिल्मों में छोटे रोल कर छिपा था आरोपी
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में आरोपी ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि उसने एमबीए तक पढ़ाई की है और साल 2004 से 2013-14 तक कंपनी का डायरेक्टर रहा। जब शासन ने जांच शुरू की तो कंपनी ने ऑफिस बंद कर दिए।
इसके बाद आरोपी ने डायरेक्टर पद से इस्तीफा देकर फरारी का रास्ता अपना लिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह भुवनेश्वर में छिप-छिपकर जीवन बिता रहा था और फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में छोटे-छोटे किरदार निभाकर गुजारा कर रहा था।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
फिलहाल पुलिस ने आरोपी काली प्रसाद मिश्रा को गिरफ्तार कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। निवेशकों को न्याय दिलाने और ठगी की रकम की रिकवरी को लेकर भी प्रयास जारी हैं।