Vice President Election: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार शाम अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद अब देश को नया उपराष्ट्रपति चुनना है। इस बीच, निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने आगामी चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
आयोग ने शुक्रवार को राज्यसभा के महासचिव पी.सी. मोदी (P.C. Mody) को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। इसके अलावा गरिमा जैन और विजय कुमार को सहायक निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है।
दीपक बैज ने पीएम को लिखा पत्र
उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित नामों में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के वरिष्ठ भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) का नाम तेजी से सामने आ रहा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज (Deepak Baij) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर रमेश बैस को उपराष्ट्रपति बनाने की अपील की है।
दीपक बैज ने अपने पत्र में लिखा कि छत्तीसगढ़ को लंबे समय से केंद्र में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। ऐसे में रमेश बैस जैसे अनुभवी नेता को यह ज़िम्मेदारी देकर राज्य को सम्मान दिया जा सकता है।
कई नामों पर मंथन
उपराष्ट्रपति पद के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही है। सबसे अधिक चर्चा बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नाम की हो रही है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha), भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad), थावर चंद गहलोत (Thawarchand Gehlot), आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) और हरिवंश (Harivansh) जैसे दिग्गज नेताओं के नाम भी सामने हैं।
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रमेश बैस का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव
रमेश बैस को 50 वर्षों से अधिक का राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने 1978 में रायपुर नगर निगम के पार्षद के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। 1980 से 1985 तक वे मध्यप्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे।
1989 से लेकर 2014 तक वे लगातार 7 बार रायपुर लोकसभा सीट (Raipur Lok Sabha) से सांसद रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे इस्पात, खनन, सूचना एवं प्रसारण और पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे। 2014 के बाद वे संसद की सामाजिक न्याय समिति के अध्यक्ष रहे, जहां उन्होंने ट्रांसजेंडर और दिव्यांगजनों के अधिकारों पर सराहनीय काम किया।
2019 से वे त्रिपुरा, झारखंड और फिर महाराष्ट्र जैसे राज्यों के राज्यपाल रहे। उनका प्रशासनिक अनुभव और संसद में लंबा कार्यकाल उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए मजबूत दावेदार बनाता है।
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