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बिरनपुर सांप्रदायिक हिंसा पर स्पेशल कोर्ट में सुनवाई: CBI की नई चार्जशीट में 6 आरोपी, केस में नई धाराएं जोड़ने की मांग

Biranpur Communal Violence: बिरनपुर सांप्रदायिक हिंसा पर स्पेशल कोर्ट में सुनवाई, CBI की नई चार्जशीट में 6 आरोपी, केस में नई धाराएं जोड़ने की मांग

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Harsh Verma
बिरनपुर सांप्रदायिक हिंसा: CBI ने 12 आरोपियों के खिलाफ दर्ज की FIR, पूछताछ के बाद नए सिरे से होगी जांच

Biranpur Communal Violence: बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में 8 अप्रैल 2023 को एक मामूली विवाद ने सांप्रदायिक रूप ले लिया। दरअसल, दो बच्चों के बीच हुई सामान्य झड़प ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हिंसक रूप ले लिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि साजा विधायक (Saja MLA) ईश्वर साहू (Ishwar Sahu) के बेटे भुनेश्वर साहू (Bhuneshwar Sahu) की भीड़ ने लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी।

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घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया। 10 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया। बंद के दौरान बिरनपुर और आसपास के गांवों में आगजनी और हिंसा की घटनाएं हुईं। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के रहीम (Rahim, 55 वर्ष) और उनके बेटे ईदुल मोहम्मद (Idul Mohammad, 35 वर्ष) की भी मौत हो गई।

प्रशासन ने हालात काबू में लाने के लिए धारा 144 लागू कर दी और करीब दो सप्ताह तक गांव में कर्फ्यू रहा। शुरुआती जांच में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई।

सीबीआई की जांच और चार्जशीट में नया मोड़

अप्रैल 2024 में सीबीआई टीम ने बिरनपुर पहुंचकर नई जांच शुरू की। एजेंसी ने कई गवाहों और घटनास्थल की बारीकी से पड़ताल की। जांच के बाद 30 सितंबर 2025 को दाखिल की गई चार्जशीट में छह नए आरोपियों के नाम सामने आए हैं। सीबीआई वकील ने कोर्ट में कहा कि नए साक्ष्य सामने आने से धारा बढ़ाने की आवश्यकता है।

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वहीं, बचाव पक्ष ने कोर्ट में तर्क दिया कि सीबीआई का धारा बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि पहले से दर्ज चार्जशीट पर्याप्त है। दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने मामले में फैसला 19 नवंबर 2025 के लिए सुरक्षित रख लिया।

बिरनपुर की हिंसा किसी राजनीतिक साजिश का नतीजा नहीं

सीबीआई की चार्जशीट में यह भी साफ किया गया है कि बिरनपुर की हिंसा किसी राजनीतिक साजिश का नतीजा नहीं थी। एजेंसी ने स्पष्ट किया कि विपक्ष द्वारा लगाए गए राजनीतिक षड्यंत्र के आरोप निराधार हैं। खास बात यह रही कि चार्जशीट में पूर्व विधायक अंजोर यदु (Anjor Yadu) का नाम शामिल नहीं है, जबकि ईश्वर साहू लगातार उनकी भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं।

न्याय की राह में लंबा इंतजार

भुनेश्वर साहू की मौत के बाद से बिरनपुर का माहौल अब तक पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाया है। गांव के कई परिवार अब भी न्याय की उम्मीद में हैं। ढाई साल बाद हुई इस सुनवाई से स्थानीय लोगों को उम्मीद जगी है कि अब इस मामले में ठोस निर्णय सामने आएगा।

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