Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने शहर में लगातार हो रही चाकूबाजी (Stabbing Incidents) की घटनाओं और दुकानों व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Online Platforms) पर चाकुओं की बिक्री (Knife Sale) को लेकर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका (Public Interest Litigation) के रूप में दर्ज कर सुनवाई शुरू की है।
चीफ जस्टिस (Chief Justice) की डिवीजन बेंच (Division Bench) ने बताया कि समाचार रिपोर्ट के अनुसार, केवल सात महीनों में चाकूबाजी के 120 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें सात लोगों की मौत हो चुकी है और 122 लोग घायल हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि मामूली विवादों पर भी चाकूबाजी जैसी गंभीर घटनाएं हो रही हैं, जो चिंताजनक है।
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अधिकारियों को पक्षकार बनाकर मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने इस मामले में मुख्य सचिव (Chief Secretary), डीजीपी (DGP), आईजी बिलासपुर (IG Bilaspur), कलेक्टर (Collector), एसपी बिलासपुर (SP Bilaspur) और गृह विभाग (Home Department) के प्रमुख सचिव को पक्षकार बनाया है। खास बात यह है कि गृह विभाग के प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब मांगा गया है।
ऑनलाइन और दुकानों से आसान उपलब्धता
कोर्ट ने कहा कि शहर में चाकू आसानी से उपलब्ध हैं, चाहे वह स्थानीय दुकानों से हों या ऑनलाइन वेबसाइटों से। इस वजह से युवाओं और अपराधियों के बीच चाकू रखने और इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। हालांकि पुलिस ने शस्त्र अधिनियम (Arms Act) के तहत कार्रवाई की है, लेकिन समस्या पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए ज्यादा प्रभावी रणनीति की जरूरत है।
सरकार ने की कार्रवाई, पर जरूरत सख्त कदमों की
महाधिवक्ता (Advocate General) प्रफुल्ल एन. भरत और उप-महाधिवक्ता (Deputy Advocate General) शशांक ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि राज्य ने ऑनलाइन चाकू बिक्री के खिलाफ कार्रवाई की है। इसके बावजूद, कोर्ट का मानना है कि गृह विभाग को इस पर स्पष्ट और ठोस योजना बनाकर अमल करना होगा।
अगली सुनवाई 25 अगस्त को
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को तय की है और तब तक सभी संबंधित अधिकारी अपने-अपने जवाब दाखिल करेंगे। उम्मीद है कि इस सुनवाई में शहर में चाकूबाजी रोकने के लिए कड़े कदम तय होंगे।
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