/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/CG-News-51.webp)
Bilaspur BEO Office Corruption: बिलासपुर में म गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल खपरी (Government Primary School Khapri) के सहायक शिक्षक संतोष कुमार साहू (Santosh Kumar Sahu) ने मेडिकल बिल भुगतान के लिए बीईओ ऑफिस मस्तूरी में आवेदन दिया था।
उनके इलाज पर 1 लाख 87 हजार 459 रुपए का बिल स्वीकृत हुआ था। लेकिन 9 जुलाई की रात बीईओ कार्यालय के सहायक ग्रेड-02 सीएस नौरके ने कॉल कर 10 प्रतिशत कमीशन (Commission) मांगा।
शिक्षक के मना करने पर बिल का भुगतान रोक दिया गया। जब शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई, तो संतोष साहू ने डीईओ और कलेक्टर को ऑडियो रिकॉर्डिंग (Audio Recording) सौंप दी। मामला मीडिया में आने के बाद ही लिपिक को निलंबित किया गया।
यह भी पढ़ें: CG News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ दौरे पर, नवा रायपुर M-1 बंगले में ठहरेंगे
ऑडियो वायरल होते ही विभाग में मचा हड़कंप
जैसे ही कमीशनखोरी का ऑडियो (Bribery Audio) सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हुआ, विभाग में हड़कंप मच गया।
डीईओ ने सस्पेंशन आदेश जारी करते हुए लिखा था कि लिपिक के इस कृत्य से विभाग की छवि धूमिल हुई है।
इसके बाद प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) में नौरके को दोषी पाया गया। बावजूद इसके, 44 दिन बाद डीईओ ने उसे बहाल कर उसी कार्यालय में पदस्थ कर दिया, जहां वह पहले काम कर रहा था।
दोष साबित, फिर भी विभागीय जांच नहीं
जांच में कमीशन मांगने का आरोप सही पाया गया, लेकिन न तो विभागीय जांच (Departmental Inquiry) की गई और न ही कोई आरोप पत्र (Charge Sheet) जारी हुआ।
डीईओ के बहाली आदेश में साफ लिखा है कि नौरके दोषी पाया गया था, फिर भी उसे “चेतावनी” देकर मुक्त किया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह ऐसा पहला मामला है जहां किसी दोषी कर्मचारी को उसी पद पर वापस भेज दिया गया है, जहां से भ्रष्टाचार की शिकायत हुई थी।
DEO बोले – “कोई और जाने को तैयार नहीं था”
जिला शिक्षा अधिकारी विजय टांडे (DEO Vijay Tande) ने कहा, “हां, लिपिक दोषी पाया गया था, लेकिन वहां पोस्टिंग की जरूरत थी। कोई अन्य कर्मचारी उस स्थान पर जाने को तैयार नहीं हुआ, इसलिए नौरके को बहाल करना पड़ा। उसकी वेतन वृद्धि रोकी गई है और चेतावनी दी गई है कि दोबारा ऐसा करने पर सेवा समाप्त कर दी जाएगी।”
सवालों के घेरे में प्रशासनिक निर्णय
इस फैसले ने प्रशासनिक ईमानदारी (Administrative Integrity) पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षा विभाग (Education Department) के कर्मचारियों का कहना है कि अगर दोषी कर्मचारी को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा, तो भ्रष्टाचार (Corruption) पर रोक कैसे लगेगी?
यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है और कई शिक्षक संगठन (Teacher Associations) अब इस पर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: रायपुर के DKS अस्पताल में डॉक्टरों ने किया चमत्कार: 9 साल की बच्ची की आंख से दिमाग में घुसी घंटी, निकालकर बचाई जान
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/12/01/2025-12-01t081847077z-new-bansal-logo-2025-12-01-13-48-47.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें