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बिलासपुर में अरपा नदी का बढ़ता प्रदूषण: नगर निगम ने STP निर्माण में देरी पर ठेका कंपनी पर 2.22 करोड़ का जुर्माना लगाया

Bilaspur Arpa River Pollution: बिलासपुर में अरपा नदी का बढ़ता प्रदूषण, नगर निगम ने STP निर्माण में देरी पर ठेका कंपनी पर 2.22 करोड़ का जुर्माना लगाया

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Harsh Verma
Bilaspur Arpa River Pollution

Bilaspur Arpa River Pollution: बिलासपुर की जीवनरेखा कही जाने वाली अरपा नदी (Arpa River) इन दिनों लगातार बढ़ते प्रदूषण की चपेट में है। शहर के विभिन्न नालों से प्रतिदिन करीब 135 एमएलडी गंदा पानी बिना किसी शोधन के सीधे नदी में गिर रहा है।

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बिलासपुर नगर निगम (Bilaspur Municipal Corporation) की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ग्यारह बड़े नालों से लगभग 110 एमएलडी गंदा पानी नदी में पहुंचता है। मंगला से दोमुहानी तक करीब 10.5 किलोमीटर की लंबाई में नदी के दोनों किनारों से रिहायशी इलाकों का गंदा पानी लगातार बहता है।

एसटीपी निर्माण में देरी, ठेका कंपनी पर बड़ी कार्रवाई

अरपा नदी को बचाने के लिए नगर निगम ने छह स्थानों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant – STP) बनाने की योजना तैयार की थी। लेकिन निर्माण कार्य में देरी के कारण अब तक कोई प्लांट पूरी तरह से तैयार नहीं हो सका है। निगम ने निर्माण एजेंसी श्रद्धा कंस्ट्रक्शन (Shraddha Construction) पर 2.22 करोड़ रुपए की पेनल्टी (Penalty) लगाते हुए दिसंबर 2025 तक काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

अधूरे प्रोजेक्ट, उम्मीद मार्च 2026 तक

नगर निगम के अनुसार, मंगला क्षेत्र (Mangla Area) में निर्माणाधीन दो एसटीपी में से 10 एमएलडी क्षमता वाला प्लांट 75 प्रतिशत तक और 6 एमएलडी वाला प्लांट 90 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। वहीं कोनी (Koni) में 2 एमएलडी एसटीपी अंतिम चरण में है और पचरीघाट (Pacharighat) में 1 एमएलडी क्षमता का प्लांट अभी शुरू हुआ है। निगम का दावा है कि सभी एसटीपी मार्च 2026 तक तैयार (Completion by March 2026) हो जाएंगे।

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क्यों जरूरी है एसटीपी

एसटीपी (STP) यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant) एक ऐसी व्यवस्था है जो घरों, दफ्तरों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करने का काम करती है। इसमें भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं के जरिए पानी को इस लायक बनाया जाता है कि उसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सके या पर्यावरण में छोड़ा जा सके। बिलासपुर में एसटीपी बनने से अरपा नदी का पानी साफ होगा, प्रदूषण घटेगा और भूजल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

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