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CG Bijli Employees Strike
हाइलाइट्स
- नियमित कर्मचारी काली पट्टी लगाकर विरोध
- संविदा कर्मी 1-2 अक्टूबर को हड़ताल पर
- 9 अक्टूबर तक समाधान न हुआ तो अनिश्चितकालीन हड़ताल
CG Bijli Employees Strike: छत्तीसगढ़ के बिजली विभाग (Chhattisgarh Electricity Department) में कर्मचारियों का लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष अब आंदोलन की रूपरेखा में बदल गया है। प्रदेश के नियमित (regular employees) और संविदा (contractual workers) बिजली कर्मचारी अपनी पुरानी मांगों को लेकर सख्त मोड में आ गए हैं।
1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक नियमित कर्मचारी काली पट्टी लगाकर अपने कार्यस्थलों (workplaces) पर विरोध प्रदर्शन करेंगे, जबकि संविदा कर्मी 1 और 2 अक्टूबर को पूर्ण रूप से काम बंद (work stoppage) रखेंगे। इसके साथ ही ठेका और ट्रांसमिशन कंपनी के सब-स्टेशन ऑपरेटर भी 2 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश (mass leave) पर रहेंगे।
बिजली कर्मचारियों की 22 सूत्रीय मांगें
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CG Bijli Employees Strike[/caption]
छत्तीसगढ़ बिजली कर्मचारी संघ महासंघ (Chhattisgarh Electricity Employees Federation) के क्षेत्रीय अध्यक्ष परमेश्वर कन्नौजे और सचिव नीलांबर सिन्हा ने बताया कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) की बहाली, संविदा कर्मियों का नियमितिकरण (regularization of contractual workers), तीसरे श्रेणी तकनीकी कर्मचारियों को वेतन भत्ते सहित उचित लाभ देने की मांग शामिल है।
कुल मिलाकर 22 सूत्रीय मांगें हैं, जिन पर वर्षों से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। कर्मचारी संघ का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन (management) बार-बार केवल आश्वासन (assurances) देता रहा है, लेकिन जमीन पर कोई बदलाव नहीं हुआ।
आंदोलन की रणनीति और आगे की कार्रवाई
बिजली कर्मचारियों ने आंदोलन को चरणबद्ध (phased protest) तरीके से करने का निर्णय लिया है। नियमित कर्मचारी काली पट्टी लगाकर काम करेंगे जिससे उनकी नाराजगी का अहसास प्रबंधन को होगा। संविदा कर्मी 1 और 2 अक्टूबर को पूर्ण हड़ताल करेंगे, जो बिजली आपूर्ति (power supply) में व्यवधान का कारण बन सकती है। साथ ही ठेका और ट्रांसमिशन कंपनी के सब-स्टेशन ऑपरेटर भी 2 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे, जिससे तकनीकी कार्यों में भी प्रभाव पड़ेगा।
परमेश्वर कन्नौजे ने चेतावनी दी है कि यदि 9 अक्टूबर तक उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल (indefinite strike) पर जाने को मजबूर होंगे, जो प्रदेश में बिजली व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
बीएमएस से संबद्ध बिजली कर्मचारी संघ-महासंघ 9 अक्टूबर को बिजली कंपनी मुख्यालय का घेराव करेगा, जिसमें संविदा मजदूर संघ भी शामिल होगा। महामंत्री नवरतन बरेठ ने बताया कि वे नियमितीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं।
सरकार और प्रबंधन के लिए संदेश
कर्मचारी संघ ने साफ कहा है कि वे लंबे समय से अपनी मांगें लेकर संघर्षरत हैं, लेकिन केवल आश्वासन देने से काम नहीं चलेगा। सरकार और कंपनी प्रबंधन को अब तत्काल और ठोस कदम उठाने होंगे ताकि बिजली कर्मचारियों के मनोबल में सुधार हो और बिजली सेवा में बाधा न आए। इ
स बीच, राज्य के नागरिकों को भी बिजली सेवा में संभावित असुविधा (possible disruption) के लिए तैयार रहना होगा। कर्मचारियों के सामूहिक हड़ताल पर जाने से पहले CSPDCL कंपनी एस्मा लागू कर सकती है। इस दौरान किसी भी प्रकार की हड़ताल पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी।
क्या है एस्मा?
एस्मा ( Essential Services Maintenance Act) एक ऐसा कानून है जिसे आवश्यक सेवाओं को बाधित होने से बचाने के लिए लागू किया जाता है। यह कानून सरकार को हड़ताल पर रोक लगाने का अधिकार देता है, विशेषकर तब जब इससे सार्वजनिक सेवाएं प्रभावित हो रही हों।
एस्मा के तहत प्रावधान
हड़ताल करने या विरोध प्रदर्शन करने पर 6 महीने की जेल या जुर्माने का प्रावधान है। बिना वारंट के गिरफ्तारी की भी अनुमति होती है। एस्मा के तहत कर्मचारी हड़ताल या कार्य बहिष्कार नहीं कर सकते। सरकार को कर्मचारियों को पहले नोटिस देना अनिवार्य होता है।
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बिजली विभाग की चुनौतियां और कर्मचारी आंदोलन का असर
छत्तीसगढ़ में बढ़ती जनसंख्या और विकास के साथ बिजली की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में कर्मचारी आंदोलन से बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और घरेलू उपयोग प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस आंदोलन को जल्द से जल्द समाधान की ओर ले जाना चाहिए ताकि प्रदेश का विकास प्रभावित न हो और कर्मचारियों की मांगों का सम्मान भी हो।
उम्मीद और समाधान की आवश्यकता
छत्तीसगढ़ के बिजली कर्मचारी संघ महासंघ की मांगें जायज हैं और उनके आंदोलन से सरकार और प्रबंधन के सामने गंभीरता से मुद्दा आने का संकेत मिलता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि 9 अक्टूबर तक समाधान निकल आएगा और अनिश्चितकालीन हड़ताल जैसी स्थिति पैदा नहीं होगी। कर्मचारियों की भलाई और बिजली सेवा की निरंतरता दोनों ही जरूरी हैं, इसलिए बेहतर संवाद और समझौते की जरूरत है।
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