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बीजापुर में सहायक और पंचायत सचिव की पिटाई से मचा बवाल: कर्मचारियों ने दी काम बंद आंदोलन की चेतावनी, 2 पुलिस जवान निलंबित

Bijapur SDOP Dispute: बीजापुर में सहायक और पंचायत सचिव की पिटाई से मचा बवाल, कर्मचारियों ने दी काम बंद आंदोलन की चेतावनी, 2 पुलिस जवान निलंबित

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Harsh Verma
Bijapur SDOP Dispute

Bijapur SDOP Dispute: बीजापुर (Bijapur) जिले के भैरमगढ़ (Bhairamgarh) जनपद पंचायत में पदस्थ तकनीकी सहायक (Technical Assistant) संतोष कुंजाम और पंचायत सचिव (Panchayat Secretary) बाबू राव पुलसे के साथ 29 मई को हुई पुलिस की बर्बरता का मामला अब बड़ा विवाद बन चुका है। घटना कुटरू थाना क्षेत्र के ग्राम तुमला के पास की है, जहां एसडीओपी (SDOP) ब्रिज किशोर यादव और उनके साथ मौजूद पुलिस जवानों ने कर्मचारियों को वाहन से उतारकर लाठी, बेल्ट और जूतों से बेरहमी से पीटा।

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हथियार की नोक पर धमकाया, जातिगत गालियां भी दी गईं

पीड़ित कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि स्कॉर्पियो को रास्ता न देने की बात को लेकर एसडीओपी और जवानों ने पहले उन्हें गाड़ी से उतारा, फिर बंदूक की नोक पर धमकाया और जातिगत अपशब्द कहे। इसके बाद जमीन पर गिराकर उन्हें पीटा गया। पीड़ित किसी तरह जान बचाकर भैरमगढ़ पहुंचे और अधिकारियों को घटना की जानकारी दी।

कर्मचारियों ने सौंपा ज्ञापन, कार्रवाई की मांग

घटना के विरोध में भैरमगढ़ जनपद पंचायत के तमाम अधिकारी-कर्मचारी एकजुट हो गए हैं। उन्होंने बीजापुर कलेक्टर (Bijapur Collector) संबित मिश्रा और पुलिस अधीक्षक (SP) के नाम ज्ञापन सौंपा और दोषियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की। कर्मचारियों ने यह चेतावनी भी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे काम बंद आंदोलन (Work Boycott) करेंगे।

दो पुलिस जवान निलंबित, कलेक्टर ने बनाई जांच समिति

पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रारंभिक जांच के आधार पर दो पुलिस जवानों दिवा जितेन्द्र और सोमारू उरसा को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspended) कर दिया है। साथ ही विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
वहीं कलेक्टर संबित मिश्रा ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता अपर कलेक्टर भूपेन्द्र कुमार अग्रवाल करेंगे। सदस्य के रूप में एएसपी यूलेडन यार्क और एसडीएम विकास सर्वे को शामिल किया गया है। समिति को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

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अभी तक दर्ज नहीं हुई एफआईआर, कर्मचारियों में आक्रोश

घटना के चार दिन बाद भी पुलिस द्वारा एफआईआर (FIR) दर्ज न किए जाने से कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। उनका मानना है कि यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे प्रशासन की छवि और पुलिस पर जनता का भरोसा दोनों प्रभावित होंगे।

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