Bijapur Encounter: बीजापुर जिले के नेशनल पार्क (National Park Area) क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने जून 2025 के पहले पखवाड़े के दौरान चलाए गए सघन माओवादी विरोधी अभियानों (Anti-Maoist Operations) के तहत बड़ी सफलता हासिल की है।
इस दौरान हुई कई मुठभेड़ों में 7 माओवादियों (Maoists) को मार गिराया गया है। मारे गए माओवादियों में दो शीर्ष नेता (Top Leaders) शामिल हैं, जिनकी पहचान गौतम उर्फ सुधाकर (Gautam alias Sudhakar) और भास्कर राव (Bhaskar Rao) के रूप में हुई है।
केंद्रीय और राज्य समिति के सदस्य थे मारे गए नेता
गौतम उर्फ सुधाकर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) (CPI-Maoist) की केंद्रीय समिति (Central Committee) का सदस्य था।
वहीं, भास्कर राव इस संगठन की राज्य समिति (State Committee) का हिस्सा था। ये दोनों संगठन के रणनीतिक और सैन्य गतिविधियों के प्रमुख संचालनकर्ता माने जाते थे। इनकी मौत को सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका बताया है।
रसोई सहायक के रूप में कार्यरत था तीसरा नक्सली
मारे गए अन्य नक्सलियों में से एक की पहचान महेश कोडियम (Mahesh Kodiam) के रूप में हुई है, जो फरसगढ़ थाना अंतर्गत इरपागुट्टा गांव (Irapagutta Village) का निवासी था। चौंकाने वाली बात यह है कि महेश गांव के प्राथमिक विद्यालय में रसोई सहायक (School Cook Assistant) के रूप में कार्यरत था और मार्च 2025 तक उसे नियमित मानदेय भी मिल रहा था।
जांच में यह सामने आया है कि महेश कोडियम, नेशनल पार्क क्षेत्र डिवीजन के अंतर्गत सक्रिय माओवादी संगठन का पार्टी सदस्य था। अब यह जांच का विषय है कि वह गौतम और भास्कर जैसे शीर्ष माओवादी नेताओं के संपर्क में कैसे आया।
पुलिस की अपील- माओवाद से नाता तोड़ें
पुलिस ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि वे प्रतिबंधित माओवादी संगठन (Banned Maoist Organization) से किसी भी प्रकार का संबंध न रखें। यह संगठन न केवल क्षेत्र की शांति (Peace of the Region) और राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए खतरा है, बल्कि इससे जुड़े व्यक्ति का जीवन भी संकट में पड़ सकता है।
पुलिस का कहना है कि जिन युवाओं को संगठन ने बरगलाकर अपनी ओर खींचा है, उनके पास अब आत्मसमर्पण (Surrender) कर मुख्यधारा में लौटने का अवसर है।
जांच होगी निष्पक्ष और पेशेवर
सुरक्षाबलों ने साफ किया है कि पूरे मामले की गंभीर, निष्पक्ष और पेशेवर जांच (Fair and Professional Investigation) की जाएगी। महेश कोडियम के मामले में विशेष रूप से यह देखा जाएगा कि क्या सरकारी तंत्र में रहकर वह माओवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा था।
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