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Bharatmala Project Ghotala
Bharatmala Project Scam: रायपुर-विशाखापट्टनम इकॉनॉमिक कॉरिडोर (Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor) से जुड़ी भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) में बड़ा घोटाला सामने आया है। भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए तीन पटवारियों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार आरोपियों में दिनेश पटेल (Dinesh Patel) तत्कालीन पटवारी नायकबांधा, लेखराम देवांगन (Lekhram Dewangan) तत्कालीन पटवारी टोकरो, और बसंती घृतलहरे (Basanti Ghritlahare) तत्कालीन पटवारी भेलवाडीह शामिल हैं।
तीनों पर आरोप है कि वर्ष 2020 से 2024 के बीच शासन द्वारा अर्जित भूमि को पुनः शासन के नाम पर बेचकर मुआवजा प्राप्त किया गया। इसके अलावा इन्होंने बैक डेट में बंटवारा, नामांतरण और गलत व्यक्तियों को मुआवजा देने जैसे गंभीर अपराध किए।
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शासन को करोड़ों की आर्थिक क्षति
एसीबी-ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) की जांच में खुलासा हुआ कि इन पटवारियों ने सरकारी भूमि को निजी बताकर मुआवजा राशि हड़प ली।
भूमि को कई उपखंडों में बांटकर, नकली दस्तावेज तैयार कर और गलत खातों में रकम ट्रांसफर कर शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।
जांच के अनुसार, यह अपराध अपराध क्रमांक 30/2025 के तहत दर्ज किया गया है। आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (Prevention of Corruption Act 1988) की धारा 7(C), 12 सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 409, 467, 468, 471, 420 और 120B लगाई गई हैं।
हाईकोर्ट से मिली रोक हटने के बाद हुई गिरफ्तारी
इससे पहले छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (Chhattisgarh High Court) ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी थी। हालांकि, 28 अक्टूबर 2025 को अदालत ने रोक हटाई, जिसके बाद एसीबी-ईओडब्ल्यू ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों को गिरफ्तार किया। इन्हें अब विशेष अदालत (Special Court) में पेश करने की तैयारी की जा रही है।
गौरतलब है कि 13 अक्टूबर को इस मामले में दो जनसेवकों सहित 10 आरोपियों के खिलाफ प्रथम अभियोग पत्र (First Charge Sheet) भी दायर किया जा चुका है।
क्या है रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर घोटाले की सच्चाई
रायपुर-विशाखापट्टनम इकॉनॉमिक कॉरिडोर (Raipur–Visakhapatnam Economic Corridor), भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस कॉरिडोर के लिए सरकार ने किसानों से भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा वितरण किया था।
लेकिन जांच में सामने आया कि कई जमीनों को फर्जी नामों पर दर्ज कराकर मुआवजा की राशि हड़प ली गई।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भी इन अनियमितताओं पर आपत्ति जताई थी और अपनी रिपोर्ट राजस्व विभाग (Revenue Department) को भेजी थी। इसके बाद शासन ने मुआवजा वितरण रोक दिया था और एसीबी-ईओडब्ल्यू को जांच सौंपी गई।
आगे बढ़ेगी जांच, और खुलेंगे नाम
अधिकारियों के अनुसार, अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यह घोटाला करोड़ों रुपए का है, लेकिन जांच रिपोर्ट (Investigation Report) पूरी आने के बाद नुकसान की राशि और अधिक हो सकती है।
कई अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। एसीबी सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारियां संभव हैं।
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