हाइलाइट्स
अरपा नदी के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट नाराज
राज्य सरकार ने बनाई 6 सदस्यीय जांच कमेटी
30 के दिन बाद रिपोर्ट, 22 अप्रैल को सुनवाई
CG High Court: छत्तीसगढ़ बिलासपुर हाईकोर्ट ने अरपा नदी के संरक्षण और अवैध उत्खनन रोकने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने नदी की दुर्दशा पर कड़ी नाराजगी जताई और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर सख्त टिप्पणियां कीं।
चीफ जस्टिस सिन्हा ने अवैध उत्खनन रोकने में प्रशासन की विफलता पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, कलेक्टर नदी की सफाई कर रहे हैं या फोटो खिंचाने का दिखावा कर रहे हैं? अगर उन्हें सफाई करनी है, तो कलेक्ट्रेट छोड़कर सफाईकर्मी बन जाएं। DM का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं, बल्कि प्रभावी नीतियां बनाकर अवैध गतिविधियों को रोकना है।
क्या फोटो छपवाने और दो-चार फावड़े चलाने से नदी साफ होगी?
कोर्ट ने यह भी कहा कि कलेक्टर और एसपी की मीडिया में लगातार छपने वाली तस्वीरों से समस्या का समाधान नहीं होगा। चीफ जस्टिस ने सवाल किया, “क्या मीडिया में फोटो छपवाने और दो-चार फावड़े चलाने से नदी साफ हो जाएगी? DM का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं, बल्कि प्रभावी नीतियां बनाकर अवैध गतिविधियों को रोकना है।
6 सदस्यीय समिति, 30 दिन में रिपोर्ट देगी
महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने बताया कि राज्य सरकार ने अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण रोकने के लिए 6 सदस्यीय समिति बनाई है, जिसमें खनिज विभाग के उपसंचालक और खनिज अधिकारी शामिल हैं। समिति को 30 दिनों में रिपोर्ट देनी है, जिसके आधार पर खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने इस पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक देखते हैं कि क्या कार्रवाई होती है।
ट्रीटमेंट प्लांट की प्रगति पर रिपोर्ट मांगी
नगर निगम ने शपथ पत्र में बताया कि पुणे की एक कंपनी ने अरपा नदी की सफाई और ट्रीटमेंट प्लांट की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) सौंपी है। प्रशासनिक मंजूरी के बाद टेंडर भी जारी कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त से अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
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मौजूदा कानून नाकाफी, सख्त कानून बनाए सरकार
हाईकोर्ट ने पहले ही कहा था कि वर्तमान कानून में अवैध उत्खनन पर आपराधिक मुकदमा चलाने का प्रावधान नहीं है। जुर्माना और कम्पाउंडिंग से समस्या नहीं सुलझ रही, क्योंकि इससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी है। कोर्ट ने सरकार को सख्त कानून बनाने का निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई 22 अप्रैल को
कोर्ट ने खनिज विभाग के सचिव और नगर निगम आयुक्त से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही, चेतावनी दी कि अगर अवैध उत्खनन जारी रहा, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
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