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हाइलाइट्स
महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने दिया इस्तीफ़ा
नियुक्ति के एक वर्ष बाद बड़ा फैसला
कानूनी-प्रशासनिक गलियारों में बढ़ी चर्चा
CG Advocate General Prafull N Bharat Resigns : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया, जिसके बाद राजनीतिक, विधिक और प्रशासनिक गलियारों में अटकलों का दौर तेज हो गया है। बताया जा रहा है कि इस्तीफा सौंपे जाने के साथ ही सरकार और विधि विभाग उच्च-स्तरीय चर्चा में जुटा है तथा जल्द ही इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आ सकती है।
नियुक्ति के एक साल बाद इस्तीफा
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एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन भारत ने दिया इस्तीफा[/caption]
प्रफुल्ल एन भारत को जनवरी 2024 में राज्य के प्रथम विधि अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद विधि-विधायी विभाग ने उनके पदस्थापन का आदेश जारी किया था। पिछले लगभग एक वर्ष के कार्यकाल में वे राज्य के हितों से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष रख रहे थे।
अपने त्याग पत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, मंत्रिमंडल, वरिष्ठ अधिकारियों और सहयोगी अधिवक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि राज्य के कल्याणकारी हितों की रक्षा, नीतिगत मामलों में कानूनी सलाह और न्यायालयीन प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी निभाना उनके करियर का महत्वपूर्ण पड़ाव रहा। साथ ही उन्होंने बार एसोसिएशन और टीम के सदस्यों के समर्थन को भी सराहा।
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विधिक करियर और जीवन पथ
जगदलपुर में जन्मे और पले-बढ़े प्रफुल्ल एन भारत का जन्म 22 जून 1966 को हुआ। प्रारंभिक शिक्षा बस्तर में पूरी करने के बाद उन्होंने एमए और एलएलबी की उच्च शिक्षा हासिल की। वर्ष 1992 में मध्यप्रदेश बार काउंसिल जबलपुर में उन्होंने अधिवक्ता के रूप में पंजीयन कराया और यहीं से व्यावसायिक सफर शुरू किया।
1992 से 1995 तक उन्होंने बस्तर जिला न्यायालय में सेवाएं दीं और फिर 1995 से अक्टूबर 2000 तक मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रैक्टिस की। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद वे नवंबर 2000 से बिलासपुर स्थित उच्च न्यायालय में सक्रिय रूप से प्रैक्टिस करते रहे और प्रमुख अधिवक्ताओं की सूची में स्वयं की मज़बूत पहचान स्थापित की।
उनकी कार्यशैली, लड़ाकू वकालती दृष्टिकोण, केस-मैनेजमेंट स्किल और सरकारी मामलों में सूक्ष्म कानूनी व्याख्या करने की क्षमता को हमेशा सराहा गया। पद से इस्तीफे के बाद अब उनके अगले कदम पर कानूनी-जगत समेत राज्य की राजनीतिक समीक्षाओं की नजरें टिकी रहेंगी।
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