जयपुर, 18 जनवरी (भाषा) राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार को सोमवार को सुझाव दिया कि कोरोना महामारी और अर्थिक मंदी के कारण जीएसटी संग्रहण अपेक्षा से कम रहने के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व घाटे की क्षतिपूर्ति जून 2027 तक की जाए।
राज्य के स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने नयी दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री वित्त निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व परामर्श बैठक में यह सुझाव दिया। सीतारमण ने इस बैठक में विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ वित्त वर्ष 2021-22 के बजट को लेकर चर्चा की।
इसमें धारीवाल ने सुझाव दिया कि कोरोना महामारी और अर्थिक मंदी के कारण जीएसटी संग्रहण अपेक्षा के स्तर से कम होने के कारण जो राजस्व घाटा होगा, उसकी क्षतिपूर्ति केन्द्र सरकार द्वारा किए जाने की व्यवस्था जून, 2022 तक जारी रख्नने का वादा है, जिसे जून 2027 तक बढ़ाया जाये।
एक सरकारी बयान के अनुसार धारीवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार ने सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद भी कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए भरसक प्रयास किये गये।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में 03 प्रतिशत ऋण सीमा आवश्यक वित्तीय संसाधनों की दृष्टि से राज्य के लिए पर्याप्त नहीं होगी और जीएसडीपी की 02 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण सीमा अनुमत की जानी चाहिए ताकि और अधिक ऋण लिया जा सके।
धारीवाल ने बैठक में बताया कि केन्द्रीय करों में राज्यों का जो 32 प्रतिशत हिस्सा था उसे बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया लेकिन राज्यों को मिलने वाले अनुदान और आयोजना सहायता को इस 42 प्रतिशत में शामिल कर लिया गया है। यही नहीं केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र सरकार का जो हिस्सा 75 प्रतिशत हुआ करता था उसे घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। जिससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है। अतः इसे 75 प्रतिशत बढ़ाया जाना चाहिए।
धारीवाल ने 4 वर्ष से अधिक समय से मुख्य खनिजों की रायल्टी दरों में बढ़ोत्तरी नहीं होने के दृष्टिगत इसमें बढ़ोत्तरी करके केन्द्रीय बजट में शामिल किये जाने व देश में बनने वाले सोने व चांदी के गहनों, मूल्यवान व अर्द्धमूल्यवान गहनों पर आयात शुल्क 7.50 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत किये जाने का सुझाव भी दिया।
उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने किसानों के हित में तीन विधेयक पारित किये हैं। उसी तर्ज पर केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये तीन कृषि कानूनों का पुनः निरीक्षण किया जाना चाहिए ताकि किसानों में फैला असंतोष समाप्त हो सके। इसके साथ ही उन्होंने राज्य से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं का जिक्र किया और उन्हें पूरा करवाने की मांग रखी।
भाषा पृथ्वी कुंज अर्पणा मनोहर
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